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________________ गाथा : ७-४७८ वैमानिकलोकाधिकार ४१७ गाया :-उत्तर दिशा सम्बंधी प्रेणीबद्ध विमान और वायव्य एवं ईशान कोण में स्थित प्रकीर्णक, ये उत्तरेन्द्र सम्बन्धी हैं, तथा शेष बचे हुए विमान दक्षिणेन्द्र सम्बंधी हैं ।। ४७६ ॥ विशेषार्थ:-उत्तर दिशा सम्बंधी अंशोबद्ध और वायव्य तथा ईशान कोण के प्रकोएंक विमान उत्तरेन्द्र से सम्बन्धित हैं। अर्थात् इनमें ईशान इन्द्र की आज्ञा का प्रवर्तन होता है । शेष ३१ इन्द्रक, पूर्व, दक्षिण एवं पश्चिम दिशा मम्बंधी ४३७१ श्रेणीबद्ध तथा नैऋत्य और आग्नेय कोण के प्रकीर्णक विमान दक्षिणेन्द्र सम्बंधी हैं । अर्थात् इनमें सौधर्म इन्द्र की आज्ञा का प्रवर्तन होता है । इसी प्रकार अन्य अन्य युगलों में भी जानना चाहिए। इदानीमिन्द्रकाबीनां व्यासं निरूपयति इंदयसेहीबद्धप्पडण्णयाणं कमेण वित्याग । संखेसममखेज उभयं वय जोगणाण तु ।। ४७७ ।। इन्द्रकोणीबद्धप्रकीर्णकानो कमेण विस्ताराः । संख्येयं असंम्येयं उभयं च योजनानां तु ।। ४७७ ।। वयसे । इन्द्रकभेणीवप्रकीर्णकाना कमेण विस्तारा: संहपेययोजनानि प्रसंहयेययोजनानि संख्येयासंख्येययोजनानि भवेयुः ॥ ४७७ ॥ इन्द्र कादिक विमानों के व्यास की प्ररूपणा करते हैं : गाचार्य :- इन्द्रक, श्रेणीबद्ध और प्रकीर्णक विमानों का विस्तार क्रमशः संख्यात योजन, असंख्यात योजन और संख्याता संख्यात पोजन है ।। ४७७ ॥ विशेषापं :-इन्द्रक विमान संख्यात योजन विस्तार वाजे ही होते हैं, श्रेणीबद्ध विमान पसंख्यात योजन विस्तार वाले ही हैं, तथा प्रकीर्णक विमानों में से कुछ प्रकीर्णक संख्यात योजन व्यास वाले और कुछ असंख्यात योजन विस्तार वाले होते है। अथ सोधादिपु संख्यातासंख्यानविस्तारविमानसंख्या गाथाहयेनाह कप्पेसु गमिपंचमभागं मंखेजवित्थडा होति । ततो तिष्णद्वारस सत्तरसेकेकय कमसो ॥ ४७८ ।। कल्पेष राशिपञ्चमभार्ग संख्येयविस्तारा भवन्ति । ततः श्रीप्यष्टादश सप्नदक मेक क्रमशः ॥ ४७८ || कप्पेसु । कल्पेषु बत्तोस्टानीसमित्यादि उतराशीनां ३२ ल. पश्चमभागप्रमाण ३४०. संख्यालयोजनविस्तारविमानानि भवन्ति । ततः कल्पेभ्य: परतो नव वेपकाविषु श्रोणि ३ वश १८ सप्तदशै १७ क १ मे १६ कमशः संख्यातयोजनविस्तृतानि भवन्ति ॥ ४७८ ॥
SR No.090512
Book TitleTriloksar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, Ratanchand Jain, Chetanprakash Patni
PublisherLadmal Jain
Publication Year
Total Pages829
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size19 MB
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