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त्रिलोकसार
भवनत्रयमें जन्म लेने वाले जीवों को कहते हैं :
पापार्थ:- उन्मार्ग का आचरण करने वाले, निदान सहित तप आदि करने वाले, जल, अग्नि आदि से मरने वाले, अकाम निर्जरा करने वाले, खोटा तपश्चरण और सदोष चारित्र पालन करने वाले जीव भवनत्रय में जन्म लेते हैं । ४५० ॥
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गाथा : ५५०
विशेषार्थ :- जनमत से विपरीत धर्म का आवरण, निदान पूर्वक तप अग्निजल आदि से मरण, अकामनिर्जरा, पचाग्नि आदि तप और सदोष चारित्र को धारण करने वाले जीव भवनत्रय में जन्म लेते हैं ।
इति श्री नेमिचन्द्राचार्य विरचिते त्रिलोक सारे ज्योतिलोंकाऽधिकारः || ४ ||
इति श्री नेमिचन्द्राचार्य विरचित त्रिलोकसार में चौथा ज्योतिर्लोकाधिकार समाप्त हुआ ।