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________________ ६४५ (५१ ६५५ गाषा सं. विषय ०२५-६३३ नारायणों के नाम, उनके आयुष, बलभद्र के आयुध, उनका पतनाकाल, बलदेष व प्रतिनारायण के नाम तीनों का उस्सेध, गाय, गति ८३४-८३५ नारों का नाम आदि ६५० ६३६-८५१ रुद्रों के नाम व संख्या, वर्तनाकाल, उत्से घ, आयु, गति तथा विशेष स्वरूप ८५२-८४६ चक्री, अचव रुद्री का पतनाकाल ८४७-४६ तीर्थकरों का वर्ण व वंश आदि E४०-६१ शक राजा और कल्कि राजा की उत्पत्तिवकार्य तथा अन्तिम कहिक का स्वरूप ८६२-८६३ पंचम काल के भारत में माग्नि आदि का नाश, मनुष्यों की गति मागति ६६५ ६४-६६. अति दुःषमा छठा काल के अन्त का कपम तथा प्रलय ६६६ ८६५-६७. उन्सपिणी काल का प्रवेश ६६७ ८७१-७२ उत्सपिशी के दूसरे काल के प्रान्त में कुल करो का कथन तथा तीसरे दुषमासुषमा काम का प्रारम्भ ६६ ५७३-७६ उत्सपिणी के तीसरे काल के १४ तौकरों के नाम, प्रथम व अन्तिम तीर्थकर की आयु व खत्मेध ८७७-८० उत्सपिणी काल के चक्रवर्ती, अर्धचकी, बलदेव के नाम ८८१ उत्सपिणी के चतुर्थादि कालों में भोगभूमि। ६७२ E८२ देवकुरु उत्तरकुरु में प्रथम काल, हरि, रम्यक क्षेत्र में दूसरा काल हेमवत हरण्यवत में तीसरा काल, विदह मे चतुर्थकाल भरत रावत के म्लेच्छ बडो में विद्याधरों की श्रेणियों में पंयम काल के मादि से अन्त पर्यन्त देवों में प्रथम काल सदृश, नरकों में छठवें काल पश, मनुष्य और तियंचों में छहों काल, अर्ध स्वयंभू रमण द्वीप और सम्पूर्ण स्वयंभूरमण समुद्रमें पचमकाल सहा वर्तना है ६७४ E८५-८९५ स तोप और समुद्रों के अन्त में परिधि स्वरूप प्रकार व वेदिका, वन प्रासाद, वापिका, दरवाजे ८९६-९२४ लवण समुद्र ५९६-९०० लक्षण में स्थित पातालों के नाम, स्थान, संख्या, परिमाण, जल और वायु का . प्रवर्तन, समुद्र के जल की ऊंचाई में हानि वृद्धि। ६७१ ८८३ ८४
SR No.090512
Book TitleTriloksar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, Ratanchand Jain, Chetanprakash Patni
PublisherLadmal Jain
Publication Year
Total Pages829
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size19 MB
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