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त्रिलोकसा
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31.11
А
गाया : ४४०-४४१
सभी नक्षत्र अपनी अपनी वीथियों में ही भ्रमण करते हैं । चन्द्र सूर्य के सह अन्य अभ्य वीथियों में भ्रमण नहीं करते ।
नक्षत्राणां तारासंख्य गाथाद्वयेनाह
किलिय पहुदिसु तारा ऋण तियएक्क छचि चक्क चऊ । दोदो पंचकेक्कं च वचियणवच उक्क चऊ ॥ ४४० ॥ तिय तिय पंचकाराहियस्य दो दो कमेण पचीसा | पंच य तिष्णि य तारा अट्ठावीसाण रिक्खाणं ॥ ४४१ ॥