SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 417
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ गाथा:१-४१३ ज्योतिर्लोकाधिकार प्रावण कृष्णा प्रतिपदा के दिन चन्द्र का अभिजित् नक्षत्र के साथ योग होने पर युग का प्रारम्भ होता है ।। ४११ ।। विशेषार्थ :-माषाढ़ मास की पूर्णिमा के अपराह्न में उत्तरायण की समाप्ति पर पश्नवर्षात्मक युग की सम्पूर्णता होती है तथा श्रावण कृष्णा प्रतिपदा के दिन चन्द्रमा का अभिजित नक्षत्र के साथ योग होने पर दक्षिणायन के प्रारम्भ के साथ पवत्मिक युग का प्रारम्भ होता है। अथ कस्यां वोथो कस्यायनस्य प्रारम्भ इति चेत् पढमंतिमसीहीदो दक्षिणउत्तरदिगयणपारंभो । आउट्ठी एगादी दुशुत्तरा दक्खिणाउट्टी ।। ४१२ ।। अपमान्तिम वीथीत: दक्षिणोत्तरदिगयनप्रारम्भः । आवृत्तिः एकादि विकोत्तरा दक्षिणावृतिः ॥ ४१२ ।। पदमतिम। प्रयमान्तिमवीपोतो पचासंस्मं दक्षिणोसरा विक प्रयनप्रारम्भः स एव वक्षिणायमस्योत्तरायणस्य च प्रथमा प्रावृत्ति: स्यात् । तत्र एकाविद्वघुतरा बक्षिणावृत्तिः स्यात् ॥ ४१२ ॥ किस वीथी में किस अयन का प्रारम्भ होता है ? उसे कहते हैं गाधार्थ :-प्रथम और अन्तिम वीथी से ही क्रमानुसार दक्षिण दिशा और उत्तर दिशा के अयन का प्रारम्भ होता है। इसे ही दक्षिणायन उत्तरायण की प्रथम आवृति कहते हैं । दक्षिणावृति एक को आदि लेकर दो दो की वृद्धि प्रमाण ( १, ३, ५, ७ आदि ) होती है ॥ ४१२ ॥ विशेषाप:-सूर्यभ्रमण की १८४ गलियां हैं। इनमें से जब सूर्य प्रथम वीपी में स्थित होता है तव दक्षिणायन का और जब अन्तिम वीथी में स्थित होता है. तब उत्तरायण का प्रारम्भ होता है। इसी को दक्षिणायन उत्तरायण की प्रथम आवृत्ति कहते है। दक्षिण आवृत्ति एक को आदि लेकर दो से अधिक ( १, ३, ५, ७) होती जाती है । जनरायणावृत्तिः कथमिनि चेत उत्तरगा य दुबादी दुचया उभयस्थ पंचयं गच्छो । विदि आउट्टी दु हवे नेरसि किलेसु मियसीसे ।। ४१३ ।। उत्तरमा च तपादि। विचया उभयत्र पश्चकं गच्छः । द्वितीयावृत्तिः तु भवेत् त्रयोदश्या कृष्णेषु मृगशीर्षायाम् ॥ ४१३ ॥
SR No.090512
Book TitleTriloksar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, Ratanchand Jain, Chetanprakash Patni
PublisherLadmal Jain
Publication Year
Total Pages829
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy