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________________ पाया । ४०३ ज्योविलाकाधिकार प्रट्ठी । प्रषष्टिः सप्तमहानगगमखण्टानि इम: १८ ताम्येन विवष्टपा २ षिकान्यादिस्यः १५३. तान्येव पुनः पवाधिकामाणि ममःलगानि ममत्राणि गच्छन्ति १९३५ एकमुहूर्तन ॥ ४०२ ॥ एक मुहूर्त में गमन करने के अपने अपने गमन खण्डों का प्रमाण कहते हैं गापार्थ :-एक मुहूर्त में चन्द्रमा १७६८ गगनखण्डों में भ्रमण करता है, सूमं १८३. और नक्षत्र १८३५ गगनखण्डों में गमन करता है ॥ ४.२ ।। विशेषार्ष :-चन्द्रमा एक मुहत में १७६८ गगनखण्डों में भ्रमण करता है। सूर्य ६२ अधिक अर्थात १५३. गगनखण्डों में और नक्षत्र ५ अधिक अर्थात् १८३५ गगनखण्डों में एक मुहूर्त में भ्रमण करते हैं। अथ चन्दादितारान्तानां गमन विशेषस्वरूपमाह चंदो मंदो गमणे सूरो सिग्धो तदो महा दत्तो । तत्तो रिक्खा सिग्या सिग्घयरा तारया तत्तो ।। ४०३ ।। चन्द्रो मन्दो गमने सूरः शीघ्रः नतो ग्रहाः ततः। ततः मारिण शीघ्रारिण शीघ्रतराः तारकाः ततः ॥ ४०३ ॥ चंदो मंयो। चन्द्रो मन्दो पमने हता सूर्यः शोनः ततो पहाः शीघ्राः ततो मक्षत्राणि शीघ्राणि ततः शीघ्रतरास्तारकाः ॥ ४.३ ॥ चन्द्रमा से तारा पर्यन्त ज्योतिषी देवो के गमन विशेष का स्वरूप कहते हैं गाथार्य :- चन्द्रमा का सबसे मन्द गमन है। सूर्य चन्द्रमा से शीघ्रगामी है, ग्रह सूर्य से शीघ्रगामी है. नक्षत्र ग्रह से शीघ्रगामी है और तारागण अतिशीघ्रगामी हैं ॥४०॥ विशेषाम् :-चन्द्रमा सबसे मन्द गति वाला है। इससे शीघ्रगति सूर्य की, उससे शीघ्र ग्रहों की. उससे शीघ्र नक्षत्रों की और उससे भी अधिक शोधगति ताराओं की है। विशेष :- चन्द्रमा अम्यन्तर वीथी में एक मिनिट में ४२२०६७, मील चलता है । इसी अम्यन्तर वीथी में सूर्य १ मिनिट में ४३७६२३१७ मील चलता है अर्थात् चन्द्रमा की अपेक्षा सुर्य ने १ मिनिट में १५८२६ ११५१ मील अधिक गमन किया। उसी अभ्यन्तर बौथी में नक्षत्र १ मिनिट में ४३८८१९१२१2 मील चलता है अर्थात् सूर्य की अपेक्षा नमत्र ने १ मिनिट में ११९६128 मील अधिक गमन किया।
SR No.090512
Book TitleTriloksar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, Ratanchand Jain, Chetanprakash Patni
PublisherLadmal Jain
Publication Year
Total Pages829
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size19 MB
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