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________________ ४०४ ४७२ [४ ] पाथा सं० विषय पृष्ठ सं० ४४४ इन्द्र अपेक्षा कल्पों की संख्या १५५-४७ बल्पातीत विमानों का गितमा नाम १५८-४४० कल्प और कल्पातीत विमानों का अवस्थान ४.३१४०० ४५९-४६२ सौधर्मादि स्वगं विमानों की संख्या तथा पटलों की संख्या १३-४६ इन्द्रक विमानों का ऊवं अन्तर तथा नाम ४.१ कल्प और कल्पातीतों को सीमा ४० इन्द्रक विमानों का विस्तार ४० ४०३-७४ श्रेणीबद्ध विमानों की संख्या व अवस्थान ४७५ प्रकीर्णक विमानों का स्वरूप व प्रमाण १४६-४७. दक्षिणेन्द्र और उत्तरेन्द्र के इन्द्रक, श्रेणीबद्ध और प्रकीर्णक विमानों का विभाग तथा व्यास विस्तार ४७-४७६ सौधर्मादि वर्गों में संस्थान व असंख्यात योजन विस्तार वाले विमानों की संख्या ४१७ ४८०-४८२ विमानों का बाहुल्य, वर्ण व आवार ४८३-४ इन्द्र किस विमान में रहता है और उसका नाम ४८६-४६७ सौधर्म वादि देषों के मुकुट चिह्न ४८८-१३ इन्द्रो के पर स्थान व विस्तार, ऊंचाई, पाप ( नौंव ) तथा गोपुरों का स्वरूप, संख्या, ऊँचाई व म्यास मादि ४२४ ४॥४-४५ सामानिक, तनुरक्षक और अनीक देषों की संख्या ४२४ ४६६-१९७ दक्षिणेन्द्र बोर उत्तरेन्द्र के खनीक नायकों के नाम पारिषद देवों की संख्या ४९९-५०१ इन्द्र के नवा बाह्य पांच कोटों का परस्पर में राम तथा अन्तरालों में स्थित देवो के भेद ५०२-५०३ नगर बास स्थित वनों के नाम तथा उनमें स्थित पत्य वृक्षों का स्वरूप ५०४-५०६ लोकपाल के तपा गणिका महत्तरियों के नगरों का विस्तार तथा नाम ४३५ २०४-१०८ देव और देवीयताओ के गृहों का विस्तार तथा उत्सेध ४३७ कर पामो देवों की अन एव परिवार देवांगनाओं की सस्या ५१०-१२ इन्द्रो को अन्य देवाङ्गनाओं के नाम और विश्यिा का प्रमाण ४३६ ५५३-५१४ वरसचा देवागनायों की संख्या तथा उनके प्रासादों के अवस्थानो' की दिशा व प्रासादों का उत्सेध ४.०
SR No.090512
Book TitleTriloksar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, Ratanchand Jain, Chetanprakash Patni
PublisherLadmal Jain
Publication Year
Total Pages829
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size19 MB
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