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[ ] पाषा सं. विषय
पृष्ठ सं० निषध, नील पर्वतों पर, हरि व मोर्चा तपास सग म उदार स्थानों की संख्या दक्षिणायन में द्वीप संबंधी चार क्षेत्र तथा वेदिका के विभाग करके सर्य व चन्द्रमा के उत्य स्थानों की संख्या
३४७ दक्षिण, उत्तर, ऊवं और अधःस्थानों में सूर्य का आताप क्षेत्र
एक एक नक्षत्र सम्बन्धी मर्यादा रूप गन खम ३५-४०० जघन्य, उत्कृष्ट और मध्यम नक्षत्रों के नाम
१५८ ४.१-४०२ सयं, चन्द्र धोर नक्षत्रों का परिधि में भ्रमण काल तथा पगन खंडों का प्रमाण
३५६ चन्द्रमा, सयं, ग्रह और नक्षत्रों की चाल में शीघ्रता को तरतमता चन्द्रमा को नक्षत्रों के साथ लथा सर्य की नक्षत्रों के साथ निकटता ( अर्थात्
भुक्ति ) का काल १.५-४०६ राह को नावों के साथ निकटसा ( भुक्ति) काल
३६३ १०७-४. एक अपन में तोन गतदिवस ( अधिक दिन)
पुष्य नक्षत्र की विशेषता तथा दोनों अयनों में सयं, चन्द्रमा, राहु धारा नक्षत्रों का भुक्ति काल
३७ ४१.-४२० अधिक माम होने का विधान तथा उसकी सिद्धि ४२१-४३१ किस पर्व, तिथि और नक्षत्र में दिन रात समान ( विषुप ) होंगे ४५२-४३६ नमत्रों के नाम. अधि देवला. स्थिति विशेष का विधान तथा गमन वीथी ४४.-४४५ प्रत्येक नक्षत्र हाराओं की संख्या, उन नाराओं के साहार तथा परिवार
ताराओं की संख्या ४४६ पांचों प्रकार के ज्योतिषी देवो की बायु ४४७-४४८ चाद्र और सूर्य की देवाङ्गमा ४४६ देवाङ्गनामों की वायु तथा प्रत्येक देव की देवियों की संख्या भवनचय में उत्पन्न होने वाले जीव
३.७ चौथा ज्योतिलोंक समाप्त मानिक लोकाधिकार ५
३९९-५७६ ४१ सर्व १४६७०२३ विमानो' में स्थित जिन मंदिरों को नमस्कार
३६९ ४५५-४५३ कल्प और कल्पातीत में से करपों के नाम
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