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________________ गाया।३८२ ज्योतिर्लोकाधिकार (२) अभ्यन्त र वीथी की परिधि ३१५०८६ योजन, (३) मध्यम वीथी की परिधि ३१६७.२ योजन, (४) बाह्य वीथी की परिधि ३१८३१४ योजन, और (५) जलषष्ठ भाग की परिधि का प्रमाण ५२७०४६ योजन होता है। उपयुक्त पानों परिधियों में से विवक्षित परिधि में ६०का भाग देकर जो लश्च प्राप्त हो उसको सूर्य स्थित माह के दिन एवं रात्रि के मुहूर्ती ( १८ । १७ । १६ । १५ । १४ । १३ । १२ । ) से गुणित करने पर सस माह के ताप और तम के विषय का क्षेत्र प्राप्त हो जाता है यथा- मेकगिरि की परिधि विवक्षित है तथा सूर्य श्रावण माह पर स्थित है। श्रावण माह में दिन १८ मुहूर्त (१४ घंटे २४ मिनिट ) का और रात्रि १२ मुहूर्त ( ६ घंटे ३६ मिनिट ) की होती है। मेरु की परिधि ३१६२२ योजन है। अत: ११.३१५८ - १४८६१ योजन मेरु पर्वत के ऊपर ताप क्षेत्र का तथा 3१६१२४१२१ = ६३२४१ योजन तम क्षेत्र का प्रमाण है । इसी प्रकार अन्य परिधियों में जानना चाहिये। विवक्षित परिधि को '६५ से भाजित कर, घी २६ मुहूतं सा नुपित करने पर जो लब्ध प्राप्त हो उसे प्रत्येक माह के ताप तम के हामि वृद्धि क्षेत्र के प्रमाण रूप हानि वय जानना चाहिये । जैसे- मेरुगिरि को ३१६२२ योजन परिधि विवक्षित है, अतः ३१६२२.४ १ मुहूत =५१७. योजन हानि चय प्राप्त हुआ। एक माह में एक मुहूर्त की वृद्धि कम होती है ? उसे कहते हैं : जबकि १ दिन में 2 मुहूर्त ( १३५ मिनिट ] को हानि होती है, तब अधं साठ दिन अर्थात् ३०३ दिन में कितनी हानि होगी ? इस प्रकार राशिक करने पर- x =१ मुहूर्त (४८ मिनिट) की हानि ३० दिन में होगी। भ्रमण द्वारा दो सूर्य एक परिधि को ३० मुहूर्त में पूरा करते हैं। यदि मान लो एक ही सूर्य होता तो उसे ६० मुहुर्त एक परिधि की समाप्ति में लगते। जबकि ६० मुहूर्त में सर्य ३१६२२ योजन क्षेत्र में भ्रमण करता है, तब एक मुहून में कितना भ्रमण करेगा ? इस प्रकार राशिफ निकालने पर 3१२२ = ५२७४ योजन १ मुहूतं का भ्रमण क्षेत्र प्राप्त हुआ। पही ताप क्षेत्र की हानि का प्रमाण है। अर्थात् श्रावण माह के ताप क्षेत्र के प्रमाण से भाद्रपद का ताप क्षेत्र ५२७४: योजन कम हो गया और श्रावण माह के तम क्षेत्र की अपेक्षा भाद्रपद के तमक्षेत्र में ५२७३० योजन की वृद्धि हो गई।
SR No.090512
Book TitleTriloksar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, Ratanchand Jain, Chetanprakash Patni
PublisherLadmal Jain
Publication Year
Total Pages829
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size19 MB
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