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________________ गाथा । ३.७३ धातकी खण्ड में चन्द्रों का अन्तर : { ४००००० – (24) ) :- ३=६६६६५ ६६६६५६६ २-३३३३ योजन परिधि से चन्द्र का अन्तर । ६६६६५१६५x५ ==३३३३२८१ योजन पाँच अन्तरालों का क्षेत्र । ३३३३२१८x२= ६६६६६६६ योजन दो अन्तरालों का क्षेत्र । X= अयोजन छह चन्द्रों का क्षेत्र । ४००००० लाख योजन सम्पूर्ण वलय व्यास । ज्योतिलोकाधिकार 1000000 ; कालोक समुद्र में सूर्य में सूर्य का अन्तराल : कालोदक समुद्र का वलय व्यास ८ लाख योजन है । तथा चन्द्र सूर्यो की संख्या ४२, ४२ है । अतः : = - ( ६६४५३ } } : ३ - ३८०४योजन सूर्य से सूर्य का अन्तर । ३८०८४६६६÷ २ = १६०४७६योजन परिधि से सूर्य का अन्तर । ३८०४४१३७६४२० =७६१८८२३ योजन बीस अन्तरानों का क्षेत्र । १६०४७३४६२ = ३८०९४२३६६ योजन दो अन्तरालों का क्षेत्र | योजन २१ सूर्यों का क्षेत्र । #x= १६ + योजन वलय व्यास 480000 जनवन्द्र से चंद्रका कालोदक समुद्र में चन्द्र से चन्द्रका अन्तर : Coeboo -- { cooooo - ( Exp ) } = = ३८०६४४५ योजन चन्द्र से चन्द्र का अन्तर | ३८०९४६४५ - २ = १६०४७५३२६५५ योजन परिधि से चन्द्रमा का अन्तर । ३८०४४÷६५×२० =७६१८८०६ चन्द्र के २० अन्तरालों का क्षेत्र । २०६४योजन परिधि के दो अन्तरालों का क्षेत्र १६०४७८१६१४२ |Hx= योजन २१ चन्द्रों का क्षेत्र | + योजत वलय व्यास ३१९
SR No.090512
Book TitleTriloksar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, Ratanchand Jain, Chetanprakash Patni
PublisherLadmal Jain
Publication Year
Total Pages829
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size19 MB
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