________________
पृष्ठ सं.
२.
[ ४६ ] गाथा सं०
विषय ३१२-३१३ बम्बूद्वीप की सूक्ष्म परिधि व सूक्ष्म क्षेत्र फल का प्रमाण ३१४ जम्बूद्वीप की परिधि के द्वारा विवक्षित तोप या समुद्र की परिधि प्राप्त करने के लिए करणसव
२६१ स्थल एवं सक्ष्म क्षेत्रफल प्राप्त करने के लिए करणसूत्र ३१६-३१८ बबण समुद्रादिकों के जम्बूद्वीप प्रमाण खण्ड प्राप्त करने के लिए ४ करणसत्र
समुद्रों के बल का स्वाद ३१. किन समुद्रों में पम और कम में नहीं
२६६ तीन समुद्रों में रहनेवाले मस्स्यों को अवगाहना ३२२-३२५ मानुषोत्तर पर्वत व स्वयंप्रभ पर्वत ३२५-३२६ एकेन्दिय आदि जीवों की उत्कृष्ट अवयाइना १२७स के क्षेत्रमल सम्बन्धी करण सूत्र
२७१ टोका पकेन्द्रियावि का क्षेत्रफल
२७२ ३२८-३३. पांच स्थावरों की, विकलत्रय, मत्स्य, सरीसृप पक्षी मोर सपो की उत्कृष्ट वायु
तथा कमभूमिण मनुष्य व नियंचों की जघन्य आयु । १ चारों गतियों में वेद का कथन
ज्योतिलोक ३३. चित्रा पृषीसे ज्योतिबिम्बों की ऊंचाई ३३३ दुध बोर खमि के मातराल में स्थित ग्रहों के नाम ३३४-३३५ ज्योतिष देवों का बाल्य तथा तारागण का तिर्यग अन्तराल
२८३ २३६-३३% ज्योतिष विमानों का माकार, व्यास तथा बाहुल्य
२८३ ३३६-३४० राहु केतु विमानों का ध्यास, उनके कार्य और अबस्थान
२८४ चन्द्रमादि की किरणों का प्रमाण तथा उनको तीव्रता व मदता
२८. ३४२ चन्द्रमण्डल वृद्धि व हानि का कम
२८७ चन्द्रमा आदि ज्योतिषदेवों के विमान वाहक देवों का खाकार विशेष और संख्या आकाश में गमन करने वाले कुछ नक्षत्रों का दिशा भेद मेव पर्वत में कितनी दूर जाकर ज्योतिष देव गमन करते हैं अढाई होप र समुद्रों में चन्द्र व सूर्य की संख्या अढाई द्वीप में प्रव साराओं की संख्या ज्य तिष रेवों का गमन कम
२४९
२८९
२९.
R