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________________ गाया : ३४७ ज्योतिर्लोकाधिकार २६१ चातकी लण्ड में भारत, घारह हैं। फालोदक समुद्र में ४२, ४२ हैं और अर्ध पुष्कर द्वीप में ७२ चन्द्रमा और ५२ सूर्य हैं। इस प्रकार अढ़ाई द्वीप में फुल ( २+४+१२+४२+७२ ) = १३२ चन्द्रमा और १३२ सूर्य है। जैसे : विदेह श्चिम D 中 व ↓ Q र्व विदेह चित्रण में जिस प्रकार जम्बूद्वीप लवणसमुद्र और घातकीखण्ड के चन्द्र सूर्य दर्शाये गये हैं, उसी प्रकार कालोदक एवं पुष्करार्ध में भी जानना चाहिए अढ़ाई द्वीप के बाहर के सभी ज्योतिर्गण अवस्थित है, कभी सञ्चार नहीं करते । अथ तत्र स्थितस्थिरतारा निरूपयति-— कदि णवतीससयं दसयसदस्सं खबार हमिदालं । मयणविदुगवणं थिरतारा पृक्खरदलोचि ।। ३४७ ॥ षट्कृतिः नव त्रिशतं दशकसह द्वादश एकचत्वारिंशत् । गगन त्रिद्विक त्रिपाशत् स्थिरताराः पुष्करदलात्तम् ।। ३४७ ।। छदि । षट्कृतिः ३६ नक्षत्रंशदुत्तरशतं ९३६ दशोत्तरसहस्र १०१० खटावशोसरेकचवारिशसहस्राणि ४११२० गगन त्रिष्ट्रिकोत्तर त्रिपात्सहस्राणि ५३२३० स्थिरताराः पुष्करार्धपर्यन्तम् ॥ ३४७ ॥
SR No.090512
Book TitleTriloksar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, Ratanchand Jain, Chetanprakash Patni
PublisherLadmal Jain
Publication Year
Total Pages829
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size19 MB
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