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पाथा सं० विषय
या सं० भवनाधिकार २ . २०८ भवनों में स्थित जिन-मदिरों को नमस्कार रूप गाल
२.१ २०९-२११ भवन वासी देवों के इस भेद (कुम) तथा इन्द्रों के नाम
૨૦૨ २१२ कौन सा शिस इम्ब से स्पर्धा करता है
प्रमादि के रिह चिह्न स्वरूप चैत्यवृक्षों के दस भेव
२०४ २१५-२१६ चैत्यवृक्षों के मूल में स्थित जिन प्रतिमा तथा मानस्तम्भ २१५-२१८ भवनवासी इन्द्रों के भवनों की संख्या व विशेष स्वरूप
२०५ मवनवासी देवों का ऐश्वर्य २१० भवनों को भूगृह संशा तथा उनका विस्तार
२०६ भवन, विमान, मावासों के स्थान २२२ पसभाग में असुरकुमार के पवन व राक्षसों के भावास हैं २२३-२२५ इन्द्र प्रतीन्द्र आदि दस भेदों का उपमा सहित कञ्चन २२६-१२८ भवनवासी देवी में इन्द्र, प्रतीन्द्र, लोकपास, निश, सामानिक अङ्गरक्षक, परिषद देवों की संख्या
२१० तोनों परिषदों के विशेष नाम
अनीक देवों के भेद तथा संख्या २१ उत्तरोत्तर प्ररश गुणकार के कम से प्राप्त साहों अतीकों के पन को प्रा करने
के लिये गुण संकलन करण सूत्र २३२-२३३ बनीकों के भेद तथा स्वरूप २३१-२३५ भवनवासी इन्द्रों की देवियों की संख्या ५३६ पमर मोर बरोधन इन्द्रों की पट्ट देवियों के नाम ९३७-२३९ प्रतीम्, छोकपाश, वायत्रिशद और सामानिक को देवांपना एद्र के मार हैं।
शोष देवों को देवांगनाओं का प्रमाल कहा पमा है। २४०-२४७ भवनवासी और व्यन्तर देवों व देवांगनाओं की आयु
१२० २४८ खावास व भाहार का कम .
२०४ भवनत्रिक का उत्सेध
२२५ भवनत्रय में जन्म लेने वाले जी गा४५० पृ. ३५०
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