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त्रिलोकसाथ
पाया : ३१७
1-) मात्र २४ लब्ध प्राप्त होता है, अतः सिद्ध होता है कि यदि लवण समुद्र के जम्बूद्वीप
२४ ला ला १ लाला
बराबर टुकड़े या खण्ड किये जाय तो २४ खण्ड होंगे ।
अथ प्रकारान्तरेण खम्मानमने गाथात्ममाह
रूऊणसला बार मसलागगुणिदे दुबलय खंडाणि | बाहिर लागा कदी तदंताखिला खंडा || ३१७ ॥
रूपोनशला द्वादशशलाकगुणितास्तु वयखण्डानि ।
बालिका कृतेः तदन्ताखिलानि खण्डानि ।। ३१७ ।।
करण
लयव्यासलवारा: ur शलाका इत्युच्यन्ते । लवले तसपोणशलाका: १ द्वादशभिः १२ शलाकाभ्यां च २ गुणिता २४ वलयखण्डामि। बाह्यसूचीशलाका कृतेरेव २५ तवन्ताखिलानि खण्डानि स्युः ॥ ३१७ ॥
अब प्रकारान्तर से लण्ड करने के लिये दो गाथाए कहते हैं :
गायार्थ :- एक कम शलाका के प्रमाण को बारह से गुणा करने पर जो लब्ध प्राप्त हो उसको पालाका के प्रमाण से गुणित करने पर जम्बूद्वीप सहा गोल खण्ड प्राप्त होते हैं, तथा बाह्य सूची शलाका का वर्ग करने पर जो लब्ध प्राप्त होता है वहीं सम्पूर्ण ( जम्बूद्वीप से प्रारम्भ कर लब समुद्रपर्यन्त) खण्डों का प्रमाण होता है ।। ३१७ ॥
विशेषार्थ : - विवक्षित द्वीप या समुद्र का वलयध्यास जितने लाख योजन होता है, उतना ही उसकी शलाकामों का प्रमाण कहलाता है ।
लवग् समुद्र का बलबव्यास दो लाख योजन प्रमारग है, अतः लवणसमुद्र की दो शलाकाएं हुई। एक कम शलाका में १२ का गुणा कर गलाकाओं का गुणा करना है, अतः २–१= १x१२ = १२x२ शलाकाएँ " = २४ लवण समुद्र के जम्बूद्वीप बराबर २४ स्वण्व होते हैं ।
बाह्य सूची क्यास का प्रमास जितने लाख होता है, उतना ही उसकी सूची शलाकाओं का प्रमाण होता है । लवण समुद्र की बाह्य सूची वालाकाओं का प्रमाण ४ है, इसका वर्ग ( ५×५ ) = २५ हुआ । जम्बूद्वीप से लवण समुद्र पर्यन्त क्षेत्र के यही २५ खण्ड होते हैं । इनमें एक खण्ड स्वरूप जम्बूद्वीप है, और २४ खण्ड ( अम्बूद्वीप के बराबर । लवण समुद्र के हो सकते हैं । अन्यत्र भी ऐसा ही जानना