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गाष।। ३१६ ज्योतिर्लोकाधिकार
२६३ प्राप्त हुए। इसे ६ लाला , ६ ला ला इस प्रकार दो जगह स्थापित कर एक जगह के प्रमाण को तिगुना करने से ( ६ ल x ३ ) - १८ ला ला अर्थात् १५ हजार करोष्ठ योजन लवए समुद्र के बादर क्षेत्रफल का प्रमाण प्राम हुआ।
मूक्ष्म क्षेत्रफल :-दूसरे स्थान के प्रमाण ६ ल ल का वर्ग करने पर ६ ल ल ४६ ल ल हुए। इन को १० मे गुणित करने पर ६ ल ल ४६ ल ल x१. अर्थात् ३६ कोडाकोड़ी करोड़ ( ३६०००००००००००.०.0000000 ) योजन प्राप्त हुए । इनका ( V३६ कोडाकोडी करोड़) वर्गमूल १८९७३६६५६६१० योजन अर्थात् अलारह हजार नौ सौ तिहत्तर करोड़ छयासठ लाख, उनसठ हजार छह सौ वश योजन लवर समुद्र के सूत्र क्षेटफ
होता है।
अब जम्बूझोपप्रमाणेम लवणसमुद्रादीनां खण्यापानति
बाहिरसूईवग्गं यन्मंतरमूइयग्गपरिडीण। जंववामविभच तत्तियमेत्ताणि खण्डाणि ||३१६|| बाह्य सूचीवर्गः अभ्यन्तरसूचियर्गपरिहीनः ।
जम्बूव्यासविभक्तः तावन्मात्राणि खण्डानि ॥ ३१६ ।। बाहिर । बाह्यसूचीवर्गः २५ लाल, पम्यन्तरसूची १ ल• वर्गः १ ल. १ ल• परिहीन २४ ल. ल. जम्ब्यासेन वर्गराशिस्वात्मिकेन १ ल.स. विभक्ताचवागतानि ताम्मात्रलामि २४ ॥ ३१६ ॥
लक्रासमुद्रादिकों के जम्बद्वीप प्रमाग वण्ड लाने के लिये करणसत्र :
पाया। बाद मची व्यास के वर्ग में से अभ्यन्तर सनी व्यास का वगं घटाने पर जो लब्ध प्राप्त हो उसमें जम्बू द्वीप के व्यामा के वर्ग } का भाग देने पर जो प्रमाण प्रा होता है, लवण समुद्र के जम्बद्वीप सदृश उतने ही खण्ड होते हैं ।। ३१६ ।।
विशेषार्थ :--लवण समुद्र को बाह्य सूची का प्रमाण ५ लाख योजन है, इसका वर्ग (५ लाख ४५ लाख )=२५ ला ला योजन होता है। इसी समुद्र की अम्यन्तर सूची १ लाख योजन है. जिसका वर्ग । १ लाx१ ला)- १ ला ला योजन होता है, इसे बाह्य सूची व्यास के वर्ग में से घटा देने पर ( ९५ ला ला ला ला )- २४ ला ला अवशेष रहे। "वर्ग राशि का गुणकार एवं भागहार वगं स्वरूप ही होता है" इस नियम के अनुसार जम्बूद्वीप के १ लाख योजन ध्यास का वर्ग (१ लाxt ला )=1 ला ला होता है । इसका उपयुक्त प्रमाण ( २४ ला ला ) में भाग देने पर