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गाथा सं.
विषय भाज्य के अच्छेरों में से भाजक के अच्छों को घगने पर ला राशि के अधुच्छेद होते हैं विरलन राशि में देय शाशि के अच्छे का गुणा करने में गुणा करने पच लग्ध
राशि के अच्छे होते हैं विरहन राशि के अधच्छेदों को देय राशि के अर्धच्छेषों को अच्छेदों (वर्गशलाका) में मिछाने पर लन्धराशि की वर्गशलाका होती है। जगत मेणी की वर्गशालाका मूलराशि के अघंध्छेदों से अधिक अर्धच्छेदों के द्वारा गुरणकाष शशि की उत्पत्ति होती है
१०६ मूलराशि के अधच्छेदों से होन अर्धच्छेदों द्वारा मागाहार राशि उत्पन होती है जगमणी का वर्ग जगत्प्रतर और घन घनलोक होता है
लोक ११३ लोक का विस्तार हानि तथा यय का विधान, क्षेत्रफल तथा धन कह की उत्पत्ति
११० अधो लोक का आठ प्रकार से क्षेत्रफल (1) सामान्य, (२) फायत, (1) तिर्यगायत की अपेक्षा क्षेत्रफल (४) यवमुरज (५) यवमध्य की अपेक्षा अधोलोक का क्षेत्रफल (६) पादर, (0) दूष्य, (८) गिरिकटक की अपेक्षा अधोलोक का क्षेत्रफल
११८. ११९ पाच प्रकार मे अवलोक का क्षेत्रफक । (१) सामान्य, (२) प्रत्येक, ( ३ ) अस्तम्भ, (४) स्तम्भ, (.) पितष्टि
की अपेक्षा अध्यलोक का क्षेत्रफल १६-१२. पिनष्टि द्वारा अवलोक क्षेत्रफल में त्रिभुज को ऊंचाई तथा पिनधि द्वारा
अलोक का क्षेत्रफल १२१-१२२ लोक की पूर्व-पश्चिम तथा उत्तर-दक्षिण परिधि १२३-१२५ लोक को परिवेष्ठित करने वाली तीन वासवसयों का स्वरूप व बाइप
लोक शिक्षा पर तीन वातवजय का राहुरम लोक के नीरे वातवसयों का क्षेत्रफल
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