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________________ गाथा । २७७-२७८ व्यन्तरलोकाधिकार सुम्सर मणिदिदक्खा मह सुमदाय मालिनी होंति । मादिमालिनीविय तो सच्चरि सुष्वसेयेति ॥ २७७ || रुख रुददरिसिण दादीकंद भृद भृदादी । दच महाभुज अंबा काल सुलसा सुदरिसणया ||२७८ || ॥ २७८ ॥ गणिकामन्तर्य इंद्र प्रनि पन्यवलस्थितयः द्वे द्वे । मधुरा मधुरालावा सुस्वरा मृदुभाषिणी क्रमशः ।। २७५. ।। गुरुप्रियाता सौम्या पुदर्शिनी च भोगाख्या । भोगवती च भुजंगा भुजगप्रिया ततः सुघोषा विमला इति ॥ २७६ ॥ सुस्वरा अनिन्दिताख्या भद्रा सुभद्रा च मालिनी भवन्ति । पद्मादिमानी अपि च ततः शर्वरी सर्वसेना इति ॥ २७७ ॥ error neर्शना भूतादिकान्ता भूता भूतादि । दत्ता महाभुजा अम्बा कराला सुरसा सुदर्शनका ॥ २७८ ॥ मलिका । पुरिस | सुस्वर छायामात्रमेवार्थः ॥२७५-२७७।। दश । भूतादिकान्ता भूतकान्ता इत्यर्थः । भूतादिवसा सूतवता इत्यर्थः । शेषं छायामात्रं ९३७ चार गाथाओं द्वारा १६ इन्द्रों को गरिएका महतारी के नाम कहते हैं गाथार्थ:- प्रत्येक इन्द्र के पास अर्थ ( २ ) पत्य प्रमाण आयु को घारगा करने वाली दो दो गणिका महत्तरी होती हैं। उनके नाम इस प्रकार हैं १ किन्नरः मधुरा, मधुरालापा किम्पुरुषः सुस्वरा, मृदुभाषिणो ४ गीत रतिः सुघोषा, विमला गोतयशाः सुस्वरा, अनिन्दिता ७ सुरूपः भूतकान्ता, भूता प्रतिरूपः भूतवत्ता, महाभुजा २ पुरुषः पुरुषप्रिया, पुकारता ३ महाकायः भोगा, भोगवती महापुरुषः सौम्या, पुदर्शिनी अतिकाय: मुजङ्गा, भुजगप्रिया ५ मणिभद्रः भद्रा, सुभद्रा ६ भीमः शर्वरी (सर्व धी), सर्वसेना पूर्णभद्रः मालिनी, पद्यमालिनी महाभीमः मद्रा रुद्रदर्शना ८ कालः अम्बा, कराधा ( कला ) महाकालः सुरसा सुदर्शना, or fergoपादन्द्राणां सामानिकादीनां संख्याभवमाह
SR No.090512
Book TitleTriloksar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, Ratanchand Jain, Chetanprakash Patni
PublisherLadmal Jain
Publication Year
Total Pages829
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size19 MB
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