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________________ पापा : २४९ पवनाधिकार २२५ मसुरे । अपुरे विस्थिषु च उच्छ वासाहारी पक्षे एकवारं समासहने व एकवारं समुहूर्तरिनयोरर्धत्रयोदश द्वादशे बलोनामे भागे एककवारं ॥२४८।। असुरकुमारादि देवों के उच्छ्वास एवं आहार का कम कहते हैं: पाथाय:-असुरकपारों में एवं मागे शेष तीन तीन कूलों में माहार एवं श्वासोच्छ्वास क्रमवाः एक हजार वर्ष और एक पक्ष, १२३ दिन ओर १२३ मुहूतं, १२ दिन और १२ मुहून तथा ३ दिन और ७ मुहूर्व में होता है ॥२४८।। ___ विशेषायः- असुरकुमार देव १००० वर्ष में माहार ग्रहण करते हैं, और १ पक्ष में श्वासोच्छ वास लेते हैं । नागकुमार, सुपर्णकुमार और द्वीपकुमार १२: दिन में आहार ग्रहण करते हैं, तथा १२% मुहूर्त में उच्च वास लेते हैं । उदधिकमार स्तनितकुमार और विद्य तकमार १२ दिन में आहार ग्रहण करते हैं, एवं १२ मुहूर्त में श्वासोच्छवास लेते हैं, तथा दिक्कुमार, अग्निकुमार और वायुकुमार देव ७३ दिन में आहार ग्रहण करते हैं, और ७३ मुहूर्त में श्वासोच्छवास लेते हैं । अथ भवन त्रयाणामुरसेधमाह पणवीसं असुराणं सेसकमाराण दसधणू चेत्र । वितरजोइसियाण दसमत्त सरीरउदयो दु ।।२४९॥ पञ्चविंशतिः असुराणां दोपकुमाराणो दशधनुषां चंब । क्यन्तरज्योतिषकयोः दशसम शरीरोदय: तु ॥२४६॥ पगबोसं। पश्चविंशतिः पराणां धनुषामुश्यः शेषकुमाराणो वाषनुषा बयोग्यः । पन्तरण्योतिष्कयोः वशतप्तधनुः शरोरोक्यस्तु ॥२४६।। भवनविक देवों का उत्सेव कहते हैं: पायार्थ:-असुरकुमार देवों के शरीर का उदय ( ऊंचाई ) पच्चीस धनुष, शेषकुमारों का दस धनुष, ब्यन्तर देवों का दस धनुष और ज्योतिष देषों का सात धनुप प्रमाण है ।।२१९॥ विशेषार्थ:-असुरकुमार देवों के शरीर की ऊंचाई २५ धनुष है। शेष नागकुमारादि नवप्रकाय के भवनवासी एवं व्यन्तर देवों के शरीर की ऊंचाई दस धनुष तथा ज्योतिष देवों के शरीर की ऊंचाई “धनुष प्रमाण है। इति श्री नेमिचन्द्राचार्य विरचिते त्रिलोकसारे भवनलोकाधिकार: ॥२॥ इस प्रकार श्री नेमिचन्द्राचार्य विरचित बिलोकसार में भवनलोकाधिकार सम्पूर्ण हुआ ।।२।।
SR No.090512
Book TitleTriloksar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, Ratanchand Jain, Chetanprakash Patni
PublisherLadmal Jain
Publication Year
Total Pages829
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size19 MB
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