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त्रिलोकसार
बाया : २४२-२४३ अथ तदेव सादृश्यं विशेषेण निरूपयति
आऊपरिपारिड्ढीविक्किरियाहि पडिदयादि वऊ । सगसगईदेट्विं समा दहमछचादिसंजुचा ।।२४२||
आयुः परिवारधिविक्रियाभिः प्रतीन्दादयः पवारः ।
स्वकस्व केन्द्रः समा दभ्रछात्रादिसंयुक्ताः ॥२४२।। पाक । किन्तु बभ्र' हवं तेन छत्रादिना संयुक्ता इत्पर्यः । शेषं छायामात्र ॥२४२॥ उपयुक्त पांचों देवों को समानता दिखाते हैं
पावार्थ:-प्रतीन्द्र, लोकपाल, प्रायस्त्रिश और सामानिक देवों की आयु, परिवार, ऋद्धि और विक्रिया अपने अपने इन्द्र के समान ही होती है। ये इन्द्र से केवल कुछ हीन छत्रादिक के धारक होते हैं ।। २४२ ॥
विशेषार्थ:-सरल है। असुरादीन्द्रदेवीनामायुः प्रमाणमा
अड्ढाइअतिपन्लं चमरदुगे णागगरुडसेसाणं । देवीणममं पुण पुवावस्साण कोडितयं ।।२४३।।
अर्धतृतीयत्रिपल्य चमरद्विके नागगरुडोषाणां ।
देवीनामष्टमं पुनः पूर्ववर्षाणां कोटि त्रयम् ॥२४॥ प्रता । अतृतीयं पल्यं त्रिपल्यं चमाविक वेगाना भागगरशेषाणा देवीना पपासंवयं पल्याएमभागः पुनः पूर्वकोटियं वर्षाणां कोस्त्रियं नातव्यं ॥२४३॥
असुरकुमारादि इन्द्रों की देवांगनाओं की आयु कहते हैं:
गाथार्थ:-चमरेन्द्र की देवियो को आयु अढाई (२३) पल्य, वैरोचन इन्द्र की देवियों को सीन पल्य, नागकुमार की देवियों की आयु पन्य के आठवें ( 2 ) भाग, गरुडेन्द्र की देवियों की आयु तीन पूर्व कोटि की तथा शेष इन्द्रों की देवाङ्गनाओं को आयु तीन करोड़ ( ३००००००० ) वर्षे प्रमाए। होती है ।। २४३ ।।
___ विशेषापं:--वमरेन्द्र और वैरोचनेन्द्र की देवाङ्गनामों की आयु क्रम से अढ़ाई पल्य और तीन पल्य की होती है, तथा नागकुमार, गण्डेन्द्र और शेष इन्द्रों की देवाङ्गनामों की आयु कम से पल्य के भाठवें भाग, तीन पूर्वकोटि और तीन करोड वर्ष की होती है ।