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पापा । २३७-२३-२३ भवनाधिकार
२१६ गाषा - चम रद्विक में कम से ज्येष्ठ देवियां कृष्णा, सुमेघा, सुका, आया और रली तथा पद्मा, महापद्मा, पद्मश्री, कनकधी और कनकमाला हैं ॥२३६।।
___ विशेषार्थ:-कृष्णा, सुमेधा, सुका, आढपा और रत्नी ये पांच पट्टदेवियों चमरेन्द्र की है । तथा पना, महापधा, पद्मश्री, कनकधी और कनकमाला ये पाच पट्टदेवियर्या वरोचन इन्द्र की हैं ।।। अथेन्दादिपञ्चानां देवीमानं समानमित्यनुपस्वा इतरेषां कान्ता निरूपयति गाथात्रय ए
अड्ढाइज्जं तिसयं पण्णापूर्ण क्रमं तु चमग्दुगे । पारिसदेवी गागे चिसयं तु समद्वितालमयं ।।२३७।। गरुडे सेसे सोलस चउदस दससंगुणं तु वीणा । सयमय देवी पेधामहचराणंगरकखाणं ॥२३८॥ सेणादेवाणं पुण देवीयो सस्स अपरिमाणं | सम्वणिगिट्ठसुराणं बत्तीमा होति देवीओ ।।२३९।।
अघतृतीयं त्रिशतं पञ्चाशदूनः क्रमस्त चमरद्विके । रारिषव्य नागे द्विशतं तु सष्टिचस्वारिशच्छतं ।। २३७॥ गहहे शेषे षोडशचतुर्दश दशसा गुणाः तु विशोनाः। शतशतदेव्यः पृतनामहत्तरागा अङ्गरक्षाणाम् ।।२३८।। सेनादेवानां पुनः देव्यः तस्य अधपरिमाण ।
सर्वनिकृष्टम राणां वात्रिंशद्भवन्ति देव्यः ॥२३६॥ मता । प्रतृतीयं शतं त्रिशतं पश्चाशनमस्तु मातम्याचमके पारिवण्यः । मागे तु द्विशतं सष्टिशतं चत्वारिशम्छतं ॥२७॥
गबजे । गक शेषे दशसगुणा: षोडश शप्तगुणाचतुर्दश। तत्रैव मध्यबाहापरिषदाविशत्यूनाः शतशतदेव्यः पृतनामहतराणा मङ्गरक्षाणाम् ॥२३॥
सेरणा । तस्प तस्य सेनामहत्तस्य ५० इत्यर्थः । शेषं छायामात्रं २३॥
इन्द्र, प्रतीन्द्र, लोकपाल, त्रास्त्रिशद और सामानिक देवी की देवांगनाएं, बल्लमाएँ एवं विक्रियाशक्ति आदि इन्द्र के हो सदृश हैं, इसलिये नहीं कहो गई । शेष देवों की देवांगनाओं का प्रमाण तीन गामाओं द्वारा कहते हैं :
गाषा:--हाई सो और तीन सौ में से कम से पचास पचास कम उमरदिक के पारिषद देवों को देवियो का प्रमाण है ( २५०, २००, १५० तथा ३००, २५० और २०० ), तथा नागकुमार