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________________ १३२ त्रिलोकमार गाथा : १२० पोषभूमिः । तत्फलहीनं शुश चतुरस्रषराफलं भवति । समच्छिन्नविरम्जु, द्वितीयदिवोपरितनम्यासे अपनीय प्रवशिष्टे अषिते । मन्तस्त्रिभुणभूमिः तत्र तत्र म्यासे २५३११ सत्रिशु .. मपनीय १४ : 'धिते सत्रिभुजभूमिः। एजुड़गेन्याविना अंशिकफलमानीय , तत्र समच्छिानविल , न्यूने । उपरितनान्तःसूच्युदयः । तदुक्ये : सचिबमवलोक्ये ३ अपनीते प्रवशिष्टे : उपरितनबहिःसूरपुरलेषः । तदुपरितनध्यासं . समध्छिन्नविरवा २' मपनीय प्रवशिष्टे प्रधिते बहिः सूत्रोभूमिः । पुनरपि तयासे 3 एक. समछिन्नरज्जु : मपनीय अवशिष्टे अषिते ; उपरितनविभुजभूमिः । एतदुपरितनम्यासे, एकराजु मपनीय अवशिष्टे धिते । अप्रसूचीभूमिः । मुख ० भूमि : जोगवलेत्याविना मघउपसानमहिःसूचीक्षेत्रफलमानीय सत् योरस क्षेत्रफले भुज ३ कोटि धेत्याविना मानीते ३ : मष्टाविंशत्या: समच्छिन्ने १३६ स्फेटयित्वा एकक्षेत्रस्येतावति यो: किमिति सम्पात्यापतिते ३१अषस्तनोपरितनबहिः सूरूपन्त क्षेत्रफलं भवति । इतरेषा क्षेत्राणां फलं पुसभूमिजोगवलेत्यादिमानीय चतुभिः समानछेवं कृत्वा परस्पर मेलयिस्वा भक्ते घशरज्जव: मध्यसप्तरज्जवः पावलानां धतूरज्जवः। एवं सर्वेषां मेलने पिनष्टि क्षेत्रफल २१ भवति ॥१२॥ गाथा :-मानस्कुमार गुगल की ऊंचाई ३ राज है, इसमें मे त्रिभुज 'क' की '; रान ऊँचाई घटाने में सूची क्षेत्र की ऊँचाई (३-") - राजू हई । भूमि मुख में अवशेष भुमि त्रिकोन क.' है, हसका क्षेत्रफल दूसरे युगल की प्रसनाड़ी के बाद भाग के क्षेत्रफल में में घटाने पर शेष चरनक्षेत्र का क्षेत्रफला वर्ग राजू होता है ।।१२०।। विशेषार्थ :-मानत्कुमार युगल की राज ऊँचाई में में 'क' त्रिभुज को " राजू ॐनाई घटाने पर (३ -:):- ३ राजू बानन सूची क्षेत्र की ऊदाई प्राप्त होती है । ( एक राज ) भूमि में म गन मुख कम कर देने पर शेष : राजू बाह्य सूत्री क्षेत्र की भूमि रह जाती है । शुद्ध चतुरस्त क्षेत्र ( ३ राजू ऊँचे और १ राजू चौड़े ) के क्षेत्रफल में से बाहा सूची क्षेत्र ( राजू ना, रानू चौड़े ) या कोरपन कम कर देने से 'व' क्षेत्र का क्षेत्रफल प्राप्त होता है। राज (२.) को दूसरे युगल के ध्याम में से घटाकर अवशिष्ट का आधा करने पर अन्नम त्रिभुज प्रर्थात् 'क' त्रिभुज की भूमि प्राप्त होती है । जैसे : -- - ४.३ = राज ( 'क' ) त्रिभुज को भुमि, न – २ x : - राजू 'ग' क्षेत्र की भूमि, . - २ = x ३ - राजू 'घ' क्षेत्र की भुमि, , . x; - राजू 'च' क्षेत्र की भूमि, और, - '-x=3 राजु 'छ' क्षेत्र की भूमि है । गाथा . १ अवशिष्टे (२०, ५०)।
SR No.090512
Book TitleTriloksar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, Ratanchand Jain, Chetanprakash Patni
PublisherLadmal Jain
Publication Year
Total Pages829
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size19 MB
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