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गाथा:११८ लोकसामान्याधिकार
१२५ है, तो २५ का कितना होगा | इस प्रकार राशिक कर 2x- मर्याद १५१ वर्ग राजू गिरि का क्षेत्रफल प्राप्त हुआ।
इसी प्रकार पुनः राशिक करना चाहिये कि --१कटक का वर्ग राजू क्षेत्रफल है, तो २१ कटक का कितना होगा ? इस प्रकार २४ + = - अर्थात् १२३ वर्ग राजू कटक का क्षेत्रफल हुआ।
१५१ वर्ग राजू + १२, २० रा० = २८ वर्ग राजू गिरि-कटक अधोलोक का क्षेत्रफल प्राप्त हुआ।
अथवा - गिरि कटक दोनों की संख्या ४८ है। जबकि एक खण्ड का क्षेत्रफल २ वर्ग राजू है, तो ४८ खण्डों का कितना होगा ? .४४ प्राप्त हुआ। यहाँ १२ से ४८ को अपवर्तित करने पर ४ प्राप्त हुए जिसे ७ से गुणित कर देने पर गिरिकाटक अधोलोक का क्षेत्रफल २८ वर्ग राजू प्राप्त होता है । इदानीमूर्ध्वलोकक्षेत्रभेदमाह
मामण्णं पत्तयं अद्धत्य तह पिण्णट्ठी । एदे पंचपयारा लोयकावेतम्हि णायवा ।।११८।। मामान्यं प्रत्येक अर्ध स्तम्भ नर्थव पिनष्टिः।
एते. पञ्चप्रकारा लोकोत्रे ज्ञातव्याः ॥११॥ तामणणं । समीकृतं प्रत्येक पद्धस्तम्भं तथैव पिनष्टिः एते पञ्चप्रकारा अबलोकक्षेत्रे ज्ञातव्याः । भुल १ भूमि ५ जोग ६वले ३ इत्यादिना समीकृतोचलोकाधक्षेत्रफल ३ x ३ मानोय एकस्पताधति ३ ५५ द्वयोः किमिति सम्पात्यापवयं गुणिते सामान्यक्षेत्रफलं २१ भवति ।' भूमी ५ मुखं १ शेषपिरवा ४ प्रवितुर्पोवयस्म । भतुश्चये ४ मििद्वतीयो : दयस्य किमिश्यपवार्य सम्पातितं ३ समानछिन्न करज्ज्वां मेलने कृते अहितीयोपरितनन्यास: :' तत्सम्पात र मेसने २० तदुपरितनध्यासः । चतुर्थोदयस्य चतुश्च ४ प्रोक्यस्य ३ किमियपवार्य सम्पातित प्रस्ताव
मेलने उपरितमध्या: । एवमर्धोक्यस्य चय : मेत्र तत्तव मो स्फेटने : उपयुपरि व्यास स्यात यावत्पञ्चवलं २ २४ । अर्थचतुर्कवयस्य : चतुश्वये ४ एकोषस्य १ किमिति सम्पातितं अधस्ताव स्फेटने लोकाग्रव्यास: स्यात् । मुख भूमिजोगदलेत्याविना अद्वितीयोवयाविक्षेत्रफलमानीय सर्वेषां मेलने कृते २१४ प्रत्येकक्षेत्रफल भवति २१ । प्रस्तम्भयोः क्षेत्रफलं सुगम । मुह १ भूमीण ५ विसेसे ४ उदहिये : त्यादिना विवड्वायुपरितनमवभूमिध्यासमानीय 3 १७२४२२११ विबढोपरितनम्यासे १० समच्छेदेन मध्यमै करज्जु स्केटरित्या उभयभाग
१ अथ प्रत्येकक्षत्र स्वरूप निरूपयति ( व
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