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________________ १२४ : नं. ६ का ( x 3 x ? प्राप्त हुआ । = + ¥ ) x 1 x ! वर्ग राजू है । +++++ २१ वर्ग राज २१ + ७ वर्गे राजू नं १ का २८ वर्ग राजु दृष्य अधोलोक का सम्पूर्गा क्षेत्रफल 1 कटक सम त्रिलोकसार गाया : ११७ येथे वर्ग राजु तथा नं० ७ का क्षेत्रफल :- + « } -- ८. गिरिकंटक अधोलोक :-- गिरिकटक - गिरि पहाड़ी को कहते हैं। पहाड़ी नीचे से चौड़ी और ऊपर सकरी अर्थात् चोटी युक्त होती है। कटक इससे विपरीत अर्थात् नीचे सकरा और ऊपर चौड़ा होता है । अधोलोक में गिरिकटक की रचना करने से २७ गिरि और २१ कटक प्राप्त होते हैं। जैसे : क सह राज MP4 २० एक करवा कस ४ फोन कटक फरक कटका चार कटक कटक) करला 191 उपारर्स भारत जाह कटक कटक कटक करक छाल नो दस १ चार का चा कटक) 12.07 जी — करक tha I *20% कटक जाजू क्षेत्रफल :- प्रत्येक गिरि व कटक का क्षेत्रफल - भूमि १ राजू, मुख० और उसे राजु है। भूमि १ + मुख १ राजू | इसका आधा (१३) राजु प्राप्त होता है । इसे राजू उत्सेध से गुणा करने पर (x) = वर्ग राजु क्षेत्रफल एक गिरि व एक कटक का प्राप्त हुआ । अधोलोक के क्षेत्र में २७ गिरि-पर्वत हैं। अतः जबकि एक गिरि का क्षेत्रफल वर्ग राजु
SR No.090512
Book TitleTriloksar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, Ratanchand Jain, Chetanprakash Patni
PublisherLadmal Jain
Publication Year
Total Pages829
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size19 MB
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