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११४ त्रिलोकमार
गाथा : ११५ अमोलोक के क्षेत्रापेक्षा आठ भेद करते हैं :- अर्थात् अधोलोक का क्षेत्रफल पाठ प्रकार से कहते हैं :
गाथार्थ :-१. सामान्य २. ऊर्दायत ३. तिर्यगायत ४ यमुरज ५ यत्रमध्य ६ मन्दर ७ दृष्य और गिरिकटक । इस प्रकार अधोलोक के आठ भेद जानना चाहिये ।।११।।
विशेषा:- सामान्य, ऊ यत, तिर्यगायत, यव मुरज, यवमध्य, मन्दर, दूष्य और गिरिकटक के भेद से अधोलोक आठ प्रकार का जानना चाहिये। १. सामान्य अधोलोक का क्षेत्रफल :--
"मुख भूमि जोग दले"............. इस सूत्रानुसार मुख और भूमि को जोड़कर उसका आधा करने से जो लब्ध प्राप्त हो उसमें पदयोग अर्थात ऊंचाई का गुणा करने पर मामान्य अधोलोक का शेषफल प्राप्त हो जाता है। जैसे :-भूमि ७ राजू मुख १ राजू और पद ७ राजू है, अत. ७ + :
२ = ४ x ७ राजू ऊंचाई = २८ वर्ग राजू सामान्य अधोलोक का क्षेत्रफल प्राप्त हुआ।। २. उर्द्धायत अधोलोक का क्षेत्रफल :-- ___
ऊ र्था बार मौकार क्षेत्रफल को ऊयित क्षेत्रफल कहते हैं। अधोलोक की चौड़ाई के मध्य में अ और ब नाम के दो खण्ड कर ब खण्ड के ममीप अखण्ड को उल्टा रखने म आयतचतुरन क्षेत्र प्राप्त होता है। जैसे :--
परा
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क्षेत्रफल :-यह भायतचतुरस्त क्षेत्र ४ राजू चौड़ा और ७ राजू ऊंचा है। इसकी ऊपर नीचे की मुभा समान है, तथा आमने सामने की कोटि भी समान है, अत: कोटि ७ राजू x ४ राजू भुजा .- २८ वर्ग राजू ऊर्शयत अधोलोक का क्षेत्रफल है।