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________________ गाथा : ९९ लोकसामान्याधिकार प(१), र (२), क (१), ध (९), र (२) अर्थात् ४१३४५२६३०३०८२०३१७७७४६.५१२१९२ को द्विगुणनव अर्थात् १८ शून्यों से सहित करने पर पल्य के रोमों की संख्या प्राप्त होती है ॥१८॥ विशेषार्ष:-इस गाथा में पत्य के रोमों की संख्या निकालने क लिए मक्षर संज्ञा से अङ्क प्राप्त किये गये हैं। अक्षर संज्ञा का ज्ञान कराने के लिये निम्नलिखित गाथा सूत्र प्राप्त होता है :कटपयपुरस्थवणेवनपश्चाष्टकल्पितः कमशः । स्वरजन शून्यं संख्या, मात्रोपरिमाक्षरं त्याज्यं ।। अर्थ :-क अक्षर से झ असर पर्यन्त (९ अक्षर), ट अक्षर से घ अक्षर पर्यन्त (६ अक्षर) तथा पवर्ग के ५ अक्षर और य से प्रारम्भ कर ह पर्यन्त ( आठ अक्षर ) अक्षरों में क्रम से जो अक्षर जितने नम्बर का हो वही अङ्क समझना चाहिए तथा अकारादि स्वर, आ, और न जहाँ हो उनका शुन्य ग्रहण करना चाहिए। तथा मात्राओं और संयोगी अक्षरों को छोड़ देना चाहिए। उपर्युक्त मूत्रानुसारं गाथा में उल्लिखित अक्षरों से अङ्ग ग्रहण कर तथा उन मकों को १८ विन्दुओं अर्थात् शून्यों से सहित करने पर चार, एक, तीन, चार, पांच, दो, छह, तीन, बिन्दी, तीन, बिन्दी, आठ, दो, विन्दी, तीन, एक, सात, सात, सात, चार, नव, पांच, एक, दो, एक, नौ और दो अर्थात् ४१३४५२६३०३०८२०३१७७७४९५१२ १९२०००००००००००००००००० पल्प के रोमों की संख्या प्राप्त होती है। अथ व्यवहारपल्यासमयं दर्शयसि - वस्ससदे वस्ससदे एक्कक्के अवाहिदम्हि जो काली । तत्कालसमयसंखा णेया वत्रहारपन्लस ।।१९।। वर्षयते वर्षशते एककस्मिन् अपहृते यः कालः । तत्काल समयसंख्या ज्ञेया ध्यवहारपल्यस्य ।।९९ः। पम्स । पर्वशते वर्षशते एकास्मिरोमिए प्रमह्ते तमपहरणपरिसमाप्तिनिमिस पावरकालसतावत्कालसमय संख्या व्यवहारपस्पस्प बातम्या । एकरोमापहतो वर्षशते १०. एतावनोमा ४१ = पाहतो कियान वर्ष इति सम्पास्य एवमेष दिनं ३६० मुहर्ता ३० श्वास ३७७३ संपालावलीन सम्पातगुणनेन यावान् समयः २२२ स पवहारपल्यायकाल: REET अथ व्यवहार पल्प के समयों का प्रमाण दशति हैं -- गापार्ष:-प्रत्येक सौ वर्ष बाद एक एक रोम के निकाले जाने पर जितने काल में समस्त रोम समाप्त हों, उतने काल के समय ही व्यवहार पल्प के ममयों की संख्या है ॥२९॥ विशेषार्ष:-कुड में भरे हुए उपयुक्त रोमों में से प्रत्येक सौ वर्ष बाद एक एक रोम के निकालने पर जितने काल में समस्त रोम समाह हों, उतने काल के समयों की संख्या ही व्यवहार पल्य के समयों की संख्या है।
SR No.090512
Book TitleTriloksar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, Ratanchand Jain, Chetanprakash Patni
PublisherLadmal Jain
Publication Year
Total Pages829
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size19 MB
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