SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 93
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ तत्रापि चाश्विनोमासे सिपक्षं शुभान्विते । दशम्यां च दशरथे शोभने रविवासरे || ३ || जम्बूस्वामी चरित के रचनाकालका भी निर्देश मिलता है। यह ग्रन्थ वि० सं० १६३२ चैत्र कृष्णा अष्टमी पुनर्वसु नक्षत्र में लिखा गया है। इस काव्य के आरम्भ में बताया गया है कि अगलपुर (आगरा ) में वादशाह अकबरका राज्य था | कविका अकबर के प्रति जजिया कर और मद्यकी बन्दी करनेके कारण आदर भाव था । इस काव्यको अग्रवालजाति में उत्पन्न गगंगोत्री साहू टोडरके लिए रचा है । ये साहु टोडर अत्यन्त उदार, परोपकारी, दानशील और विनयादि गुणोंसे सम्पन्न थे । कविने इस संदर्भ में साहु टोडरके परिवारका पूरा परिचय दिया है। उन्होंने मथुराकी यात्रा की थी और वहाँ जम्बूस्वामो क्षेत्रपर अपार धनव्यय करके ५०१ स्तूपोंकी मरम्मत तथा १२ स्तूपों का जीर्णोद्धार कराया था । इन्हींकी प्रार्थनासे राजमल्लने आगरा में निवास करते हुए जम्बूस्वामीचरितको रचना की है। अतएव संक्षेपमें कवि राजमल्लका समय विक्रमकी १७वीं शती है | हमारा अनुमान है कि पञ्चाध्यायीकी रचना कविने लाटीसंहिताके पश्चात् वि० सं० १६५० के लगभग की होगी । श्रो जुगलकिशोर मुख्तार जीने लिखा है - " पञ्चाध्यायीका लिखा जाना लाटीसंहिताके बाद प्रारंभ हुआ है | अथवा पंचाध्यायीका प्रारंभ पहले हुआ हो या पछेि, इसमें सन्देह नहीं कि वह लाटीसंहिता के बाद प्रकाशमें आयी है। और उस वक्त जनता के सामने रखी गई है जबकि कवि महोदयकी यह लोकयात्रा प्रायः समाप्त हो चुकी थी। यही वजह है कि उसमें किसी सन्धि, अध्याय, प्रकरणादिक या प्रथकर्त्ता के नामादिकी कोई योजना नहीं हो सकी और वह निर्माणाधीन स्थिति में ही जनताको उपलब्ध हुई है ।" अतएव यह मानना पड़ता है कि पञ्चाध्यायो कवि राजमल्लकी अंतिम रचना है और यह अपूर्ण है 1 रचनाएँ कवि राजमल्लको निम्नलिखित रचनाएं प्राप्त होती हैं१. लाटीसंहिता २. जम्बूस्वामीचरित ३. अस्थात्मकलमार्त्तण्ड ४. पञ्चाध्यायी ५. पिङ्गलशास्त्र १. श्री पं० जुगलकिशोर मुख्तार, वीर वर्ष ३ अंक १२-१३ । ७८ : तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य-परम्परा
SR No.090510
Book TitleTirthankar Mahavira aur Unki Acharya Parampara Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherShantisagar Chhani Granthamala
Publication Year
Total Pages510
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy