SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 72
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ स्पष्ट है कि यह यशोधरचरित भो ९ सों में पूर्ण हुआ है। ज्ञानकोत्तिने अपनी पूरो पट्टावलो अंकितकी है। बताया है कि मूलसंघ कुन्दकुन्दान्वय, सरस्वतीगच्छ और बलात्कार गणके भट्टारक वानिभूषणके पट्टधर शिष्य थे । ज्ञानकोत्ति पद्मर्कात्तिके गुरुभाई भी हैं। ज्ञानकोत्तिने सोमदेव, हरिषेण, वादिराज, प्रभंजन, धनञ्जय, पूष्पदन्त और वासबसेन आदि बिद्वानोंके द्वारा लिखे गये यशोधर महाराजके चरितको अनुभदना पबुद्धिसै पिने इसी साली है : ज्ञानकीतिने पूर्ववर्ती आचार्योंमें उमास्वामि, समन्तभद्र, वादीभसिंह, पूज्यपाद, भट्टाकलंक और प्रभाचन्द्र आदि विद्वानोंका स्मरण किया है। ग्रन्थको भाषाशैली प्रौढ है। यहाँ उदाहरणार्थ एक पद्य उद्धृत किया जाता है-- दोदंण्डचण्डबलत्रासितशत्रलोको रत्नादिदानपरिपोषितपात्रओधः । दोनानुवृत्तिशरणागतदीर्घशोक: पृथ्व्यां बभूव नृपतिर्वरमानसिंहः ।।१६।। इस प्रकार ज्ञानकीतिका यह काव्य काव्यगुणोंगे युक्त होनेके कारण जनप्रिय है। धर्मधर कवि धर्मधर इक्ष्वाकुवंशमें समुत्पन्न गोलाराडान्वयी साहू महादेवके प्रपुत्र और आशपाल के पुत्र थे । इनकी माताका नाम हीरादेवी था। विद्याधर और देवधर धर्मधरके दो भाई थे। पं० धर्मधरकी पत्नीका नाम नन्दिका था। नन्दिकासे दो पुत्र और तीन पुत्रियाँ उत्पन्न हुई थीं। पुत्रोंका नाम पराशर और मनसुख था। कविने संस्कृतमें 'नागकुमारचरित' की रचना की। इस चरित-काव्यके आरम्भमें मूलसंघ सरस्वतीगच्छके भट्टारक पद्मनन्दी, शुभचन्द्र और जिनचन्द्रका उल्लेख किया गया है। लिखा है भद्रे सरस्वतीगच्छे कुन्दकुन्दाभिधो गुरुः । तदाम्नाये गणी जात: पद्मनन्दी यतीश्वरः ।। ५ ।। तत्पट्टे शुभचन्द्रोऽभूज्जिनचन्द्रस्ततोऽजनि । नत्वा तान् सद्गुरून् भवत्या करिष्ये पंचमीकथा ॥ ६ ॥ शुभा नागकुमारस्य कामदेवस्य पाचनीं । करिष्यामि समासेन कथा पूर्वानुसारतः ॥ ७॥ अतएव स्पष्ट है कि कवि मूलसंघ सरस्वतीगच्छका अनुयायी था। स्मितिकाल कविने नागकुमारचरितका रचनाकाल ग्रन्थकी प्रशस्तिमें दिया है। इस भाचार्यतुल्य काव्यकार एवं लेखक : ५७
SR No.090510
Book TitleTirthankar Mahavira aur Unki Acharya Parampara Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherShantisagar Chhani Granthamala
Publication Year
Total Pages510
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy