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________________ वाग्मित्व, शौच, विनय, स्मृति, कुलीनता, स्थिरता, दृढ़ता, माधुर्य, शौर्य, नवयौवन, उत्साह, दक्षता, बुद्धि, त्याग, तेज, कला, धर्मशास्त्रशता और प्रज्ञा ये नायकके गुण माने गये हैं। नायकके चार भेद हैं-धीरोदात्त, धीरललित, धीरशान्त और धीरोद्धत। क्षमा, सामर्थ्य , गांभीर्य, दया, आत्मश्लाघाशन्य आदि गुण धीरोदात्त नायकके माने गये हैं। इस प्रकार नायक, प्रतिनायक आदिके स्वरूप, भेद और उदाहरण वर्णित हैं। पांचवें परिच्छेदमें दस गुणोंका कथन आया है । षष्ठ परिच्छेदमें रीतिका स्वरूप और भेद, सप्तममें वृत्तिका भेद और स्वरूप बताया गया है । केशिको, आर्यभटी, भारती और सात्वती इन पारदत्तियांका उदाहरणसहित निरूपण आया है। अष्टम परिच्छेदमें शय्यापाक और द्राक्षापाकके लक्षण आये है। नवम परिच्छेदमें अलंकारोंका निर्णय किया गया है । उपमाके विपर्यासोपमा, मोहोपमा, संशयोपमा, निर्णयोपमा, श्लेषोपमा, सन्तानोपमा, निन्दोपमा, आचिख्यासोपमा, विरोधोपमा, प्रतिशेधोपमा, चटूपमा, तत्त्वाख्यानोपमा, असाधारणोपमा, अभूतोपमा, असंभाषितोपमा, बहूपमा, विकियोपमा, मालोपमा, वाक्यार्थोपमा, प्रतिवस्तूपमा, तुल्ययोगोपमा, हेतूपमा, आदि उपमाके भेदोंका सोदाहरण स्व. रूप बतलाया है । रूपक अलंकारके प्रसंगमें समस्तरूपक, व्यस्तरूपक, समस्तव्यस्तरूपक, सकलरूपक, अवयवरूपक, अयुक्तरूपक, विषमरूपक, विरुद्धरूपक, हेतुरूपक, उपमारूपक, व्यतिरेकरूपक, क्षेपरूपक, समाधानरूपक, रूपकरूपक, अपहृतिरूपक आदि भेदोंका विवेचन किया है । वृत्तिअलंकारके अन्तर्गत उसके भेद-भेद भी वर्णित हैं । दीपक, अर्थान्तरन्यास, व्यतिरेक, विभावना, आक्षेप, उदात्त, प्रेय, ऊर्जस्व, विशेषोक्ति, तुल्ययोगिता, श्लेष, निदर्शना, व्याअस्तुत्ति, आशीः, अक्सरसार, भ्रान्तिमान, संशय, एकावलो, परिकर, परिसंख्या, प्रश्नोत्तर, संकर, आदि अलंकारोंके मेद-अभेदों सहित लक्षण व उदाहरणोंका विवेचन किया है। दशम परिच्छेदमें दोष और गुणोंका विवेचन किया है। यह परिच्छेद कान्यके दोष और गुणोंको अवगत करनेके लिए विशेष उपयोगी है । इस प्रकार इस ग्रंथमें अलंकारशास्त्रका निरूपण विस्तारपूर्वक किया गया है। आचार्य विजयवर्षीने सरस शैलीमें अलंकार-विषयका समावेश किया है। अभिनव वाग्भट्ट अलंकारशास्त्रके रचयिताओंमें वाग्भट्टका महत्त्वपूर्ण स्थान है। ये व्याकरण, छन्द, अलंकार, काव्य, नाटक, चम्पू आदि विधाओंके मर्म विद्वान थे। आचार्यतुल्य काव्यकार एवं लेखक : ३७
SR No.090510
Book TitleTirthankar Mahavira aur Unki Acharya Parampara Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherShantisagar Chhani Granthamala
Publication Year
Total Pages510
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size10 MB
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