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________________ अपख्यातिफलं दद्यादेचः सुखफलावहाः । त्रबिन्दुविसर्गास्तु पक्षादी संभवन्ति नो॥ कखगधाश्च लक्ष्मी ते वितरन्ति फलोत्तमाम् । दत्ते चकारोऽपख्याति छकारः प्रीतिसौख्यदः ।। मित्रलामं अकारोऽयं विधत्ते भीभूतिद्वयम् । सः करोति टठौ खेददुःखे वे कुरतः क्रमात् ।। पात् जारी कर सभी वर्ण शुभप्रद है; पर बीच-बीच में कुछ वर्ण अनिष्टफलप्रद भी बसाये गये हैं। अवर्णसे काव्यारम्भ करनेपर प्रोसि यवर्णसे काव्य आरम्भ करनेपर बानन्द और उवर्णसे काव्यारम्भ करने पर धनकी प्राप्ति होती है। ऐच, ए, ऐ, ओ, मो वर्णोसे काव्यारम्भ करनेपर सुख फल प्राप्त होता है और ऋल ऋल वर्णोसे काव्यारम्भ करनेपर अपकीर्ति होती है | छ, त्र, · और : पदादिमें नहीं रहते हैं। क ख ग घ वर्णोसे काव्यारम्भ करनेपर उत्तम फलकी प्राप्ति होती है। चकारसे काव्यारम्भ करनेपर अपकीति, छकारसे काव्यारम्भ करनेपर प्रीति-सौख्य, जकारसे काव्यारम्भ करनेपर मित्रलाभ, झकारसे काव्यारम्भ करनेपर भय और टकार-उकारसे काव्यारम्भ करनेपर खेद और दुःख प्राप्त होते हैं। डकारसे काव्यारम्भ करनेपर शोभाकर, ढकारसे काव्यारम्भ करनेपर अशोभाकर णकारसे काव्यारम्भ करनेपर भ्रमण और तकारसे काव्यारम्भ करनेपर सुख होता है । इस प्रकार वर्ण और गणोंका फल बताया गया है। द्वितीय परिच्छेदमें काव्यगत शब्दार्थका निश्चय किया है । इसमें ४२ पद्य हैं। मुख्य और गौण अर्थोके प्रतिपादनके पश्चात् शब्दके भेद बतलाये गये हैं । तृतीय परिच्छेदमें रसभावका निश्चय किया गया है। बारम्भमें ही बताया है कि निर्दोष वर्ण और गणसे युक्त रहनेपर भी निर्मलार्थ तथा शब्दसहित काव्य नीरस होनेपर उसी प्रकार रुचिकर नहीं होता जिस प्रकार बिना लवणका व्यञ्जन | पश्चात् विजयवर्णीने स्थायीभावका स्वरूप, भेद एवं रसोंका निरूपण किया है। लिखा है 'निरवद्यवर्णगणयुतमपि काव्यं निर्मलार्थ शब्दयुतम् । निर्लवणशाकमिव तन्न रोचते नीरसं सतां मानसे ॥३शशा' सात्त्विकभायका विश्लेषण भी उदाहरण सहित किया गया है। रसोंके सोदाहरणस्वरूप निरूपणके पश्चात् रसोंके विरोधी रसोंका भी कथन किया है। चतुर्थ परिच्छेद नायकभेदनिश्चयका है। नायकमें जनानुराग, प्रियंवद, __३६ : तीर्थंकर महावीर और उनकी माचार्य-परम्परा
SR No.090510
Book TitleTirthankar Mahavira aur Unki Acharya Parampara Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherShantisagar Chhani Granthamala
Publication Year
Total Pages510
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size10 MB
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