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________________ कुन्दकुन्द, वकग्रीव, एलाचार्य, गद्धपिच्छ और पमानन्दी उनके ये पांच नाम हुए ॥४॥ उनके पट्टपर दशाध्यायी-तस्वार्थसूत्रके प्रसिद्ध कर्ता मिथ्यात्व-तिमिरके लिए सूर्य समान उमास्वाति (उमास्वामी) आचार्य हुए ||५|| उनके पट्टपर देवोंसे पूजित समस्त अर्थके जानने वाले श्रीलोहाचार्य हुए ||६|| __यहाँसे इस नन्दिसङ्घमें दो पट्ट हो गये, पूर्व और उत्तरभेदसे ( अर्थात् यहाँसे लोहाचार्यकी पट्टवलीका क्रम काष्ठासङ्घमें चला गया और यह अनुक्रम नन्दिसंघका रहा । जिनके नाम क्रमसे यह हैं ॥७॥ यशःकोति, यशोनन्दी, देवनन्दी-पूज्यपाद, अपरनाम गुणनन्दी हुए ॥८॥ तार्किकशिरोमणि वज्रवृत्तिके धारक वचनन्दी, कुमारनन्दी, लोकचन्द्र और प्रमाचन्द्र हए ।।। नेमिचन्द्र, भानुनन्दी, सिंहनन्दी, बसुनन्दो, वीरनन्दी और रत्ननन्दी हुए।।१०॥ माणिक्यनन्दी, मेघचन्द्र, शान्तिकोत्ति, मेरुकीत्ति, महाकीति, विश्वनन्दी हुए॥११॥ श्रीभूषण, शीलचन्द्र, श्रीनन्दी, देशभूषण, अनन्तकीति, धर्मनन्दी, हुए ॥१२॥ विद्यानन्दी, रामचन्द्र, रामर्कात्ति, अभयचन्द्र, नरचन्द्र, नागचन्द्र, हुए ||१३|| - नयनन्दी, हरिश्चन्द्र (हरिनन्दी), महीचन्द्र, माघवचन्द्र, लक्ष्मीचन्द्र, गुणकीति हुए ॥१४॥ गुणचन्द्र, वासवेन्दु (वासवचन्द्र), लोकचन्द्र और बिध्यविद्याधीश्वर वैयाकरणभास्कर श्रुतकीत्ति हुए ।।१५।। भानुचन्द्र, महाचन्द्र, माघचन्द्र, ब्रह्मनन्दी, शिवनन्दी, विश्वचन्द्र हुए ॥१६॥ सैद्धान्तिक हरनन्दी, भावनन्दी, सूरकीत्ति, विद्यानन्द, सूरचन्द्र हए ॥१७॥ माधनन्दी, शाननन्दी, गंगनन्दी, सिंहकीति, हेमकीत्ति और चारुकीत्ति हूए ।॥१८॥ नेमिनन्दी, नामकोत्ति, नरेन्द्रकीत्ति, श्रीचन्द्र, परकीति, वर्द्धमानकीत्ति हुए ।।१९।। अकलंकचन्द्र, ललितकीति, विद्यविद्याधीश्वर केशवचन्द्र, चारुकीर्ति हुए ॥२०॥ ४.० : तीर्थंकर महावीर और उनको आचार्यपरम्परा
SR No.090510
Book TitleTirthankar Mahavira aur Unki Acharya Parampara Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherShantisagar Chhani Granthamala
Publication Year
Total Pages510
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size10 MB
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