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________________ का उपदेश दिया। व्याख्यान सुननेके साथ ही सबका चित्त व्रत ग्रहण करनेके लिए उत्तारू हो गया। पहले अग्नवंशीय राजा दिवाकरने अपने कुटुम्बियोंके साथ श्रावकधर्मको स्वीकार किया और पीछे इनकी देखा-देखी सवालाख अग्रवालोंके घर जैनी हो गये। पहले छानकर पानी पीना, रात्रिमें भोजन नहीं करना और दवदर्शन कर भोजन करना, ये तीन मुख्य व्रत जैनियों के बतलाये गये। उसी समय सवालाख अग्रवालोंके घरोंमें छन्ने रखे गये, रात्रिभोजनका त्याग कराया गया और दर्शनके लिए एक काष्ठकी प्रतिमा बनाकर स्थापित की गई। उसी समयसे अग्रोहेके अग्नवालश्रावकोंकी संज्ञा काष्ठासङ्घी पड़ी। इनका काण्ठासङ्घ, माथुरगच्छ, पुष्करगण, हिसारपट्ट और लोहाचार्याम्नाय प्रचलित हुई । यह नवीन काष्ठासङ्घ जन्म स्थापित किया गया, तो इस सङ्घसे लोहाचायंजीके आहारका लाभ हुआ और जैनधर्मकी वृद्धि हुई । इस संघकी पट्टावली अन्यत्र प्रकाशित है । इस सङ्घके पट्टपर उस समयसे लेकर आज तक बराबर अग्रवाल जातिके ही भट्टारक अभिषिक्त होते आते हैं। काष्ठासंघम्य गुर्वावली संप्राप्तसंसारसमुद्रतीरं जिनेन्द्रचन्द्रं प्रणिपत्य वीरम् । समीहिताप्त्यै सुमनस्तरूणां नामावली बच्मितमा गुरूणाम् ॥१॥ थीवर्द्धमानस्य जिनेश्वरस्य शिष्यास्त्रयः केवलिनो बभूवुः ।। जम्बूस्वकम्बूज्ज्वलकीर्तिपूरः श्रीगौतमः साधुवरः सुधर्मा ॥२॥ विष्णुस्ततोऽभूदगणभृत्सहिष्णुः श्रीनन्दिमित्रोऽजनि नन्दिमित्र ! गणिश्च तस्मादपराजिताख्यो गोवर्द्धनः साधुसुभद्रबाहुः ॥३॥ पञ्चापि वाचं यमौलिरलान्येतेन केषां मुनयो नमस्याः । यत्कण्ठपीठेषु चतुर्दशापि पूर्वाणि सर्वेः सुखमाभजन्ति ॥४॥ ततो विशाखोऽन्धतगच्छशाखं वन्दे मुनि प्रोष्ठिलनामकञ्च। गणेश्वरी क्षत्रियनागसेनो जयाभिधानं मुनिपुंगवञ्च ।।५।। सिद्धार्थसंज्ञो व्यजनिष्ट शिष्टस्तत्स्मात्प्रकृष्टो धृतषेणनामा । अभून्मुनीशो विजयः सुधीमान् श्रीगंगदेवोऽपि च धर्मसेनः ॥६॥ अभूवन्मुनयस्सर्वे दशपूर्वधरा इमे । भन्याम्भोजवनोबोधानन्यमार्तण्डमण्डलाः ॥७॥ ततः सनक्षत्रमुनिस्तपस्वी जयोदितोभूज्जयपालसंज्ञः । अमी समीहां परिपुरयन्तु ममोऽपि पाण्ड-ध्रुवसेन-कसा ॥८॥ ३६० : तीर्थकर महावीर और उनकी आचार्यपरम्परा
SR No.090510
Book TitleTirthankar Mahavira aur Unki Acharya Parampara Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherShantisagar Chhani Granthamala
Publication Year
Total Pages510
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size10 MB
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