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________________ कृति ८६ श्लोक प्रमाण है। इस कृतिमें संगीततस्वकी प्रधानता है और सार्वजनिक सभाओं में इसका गायन किया जाता है । जनार्दनने शक संवत् १६९०में 'श्रेणिकचरित' नामक काव्यग्रन्थ लिखा है। इस ग्रन्थमें ४० अध्याय हैं । नगेन्द्रकीत्तिने पद्यसंग्रह, दयासागरने जम्बूस्वामी चरित, सम्यक्त्वकौमुदी और भविष्यदत्तबन्धुकथा एवं विशालकोतिने शक सं. १७२९ में धर्मपरीक्षा नामक ग्रन्थको रचना की है । गंगादासने पारिखनाथभवान्तर और आदित्यवारकथा ग्रन्थ लिखे हैं । चिन्तामणिने गुणकीति द्वारा रचित अपूर्ण पद्मपुराणको पूर्ण करनेका प्रयास किया है, पर वे इसके केवल सात ही अध्याय लिख पाये हैं। जिनसागरने जोवन्धरपुराण, प्रतकथासंग्रह, भक्तामरका मराठी अनुवाद आदि रचनाएँ लिखी हैं। रत्नकीर्तिने शक सं. १७३४में ४० अध्यायोंमें उपदेशसिद्धान्तरत्नमालाकी रचना की है । दयासागरने शक संवत् १७३५में हनुमानपुराण, जिनसेनने शक सं० १७४३में जम्बूस्वामीपुराण, ठकाप्पाने शक सं० १७७२में पाण्डवपुराण, सहवाने शक संवत् १६३९ में नेमिनाथभवान्तर और रधुने शक सं० १७१०में सठिमाहात्म्य नामक ऐतिहासिक कविता लिखी है। ३२२ : तीर्थकर महावीर और उनकी आचार्य-परम्परा
SR No.090510
Book TitleTirthankar Mahavira aur Unki Acharya Parampara Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherShantisagar Chhani Granthamala
Publication Year
Total Pages510
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size10 MB
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