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________________ देवेन्द्रकीर्ति देवेन्द्रकीतिने कालिकापुराणकी रचना की है । देवेन्द्रकीति मराठी साहित्यके ऐसे कवि हैं, जिन्होंने धर्म, दर्शन और काव्यको त्रिवेणीको एकसाथ प्रवाहित किया है। इनकी रचनाका मूलाधार प्राचीन वाङमय है । कवि देवेन्द्रकीर्ति संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंश आदि भाषाओंके विद्वान होनेके साथ गुजराती भाषाके भी विद्वान् थे। मराठीके अन्य कवि और लेखक मराठी-भाषामें लगभग २० अच्छे कवि और लेखक हुए हैं तथा दश ऐसे कवि हैं, जिन्होंने स्फुट रचनाएं लिखकर वाङ्मयको समृद्धिमें योगदान दिया है। __ मेघराजके गुरुबन्धु कामराजने 'सुदर्शनपुराण' और 'चैतन्यफाग'की रचना की है । 'चैतन्यफाग' गीतात्मक रचना है और इसमें देहकी ममता त्यागनेसे आत्माको मुक्ति होने का सन्देश णित हैं। कामराज और भवराषक गुईबन्धु सूरिजनने परमहंस' नामक रूपककाव्य लिखा है। इनकी दूसरी कृति 'दानशीलतपभावनारास' भी उल्लेखनीय है । नागोआया कारज्ञा-गद्दीके सेनगणके भट्टारक माणिक्यसेनके शिष्य थे । इन्होंने यशोधरचरित लिखा है। अभयकीर्ति लातूरको प्रथमशाखाके भट्टारक बजितकोतिके शिष्य थे । इन्होंने शक संवत् १५३८ में अनन्तवतकथा लिखी है । इनको एक दूसरी कृति आदित्यव्रतकथा भी उपलब्ध है। भट्टारक अजयकीतिके शिष्योंमें चिमणाका नाम भी उल्लेख्य है । इन्होंने पैठनके चन्द्रप्रभ चैत्यालयमें अनन्तव्रतकथाकी रचना को है । एक आरतीसंग्रह प्रन्थ भी इनके द्वारा लिखित उपलब्ध है। जिनदासकी अपूर्ण कृति 'हरिवंशपुराण'को पुण्यसागरने १८ अध्याय और लिखकर पूर्ण किया है। जिनदास ४० अध्याय ही लिख सके थे। पुण्यसागर द्वारा यह ग्रन्थ पूर्ण होकर जैन महाभारतकी संज्ञाको प्राप्त हआ है। पुण्यसागरकी एक अन्य कृति आदित्यबारकथा भी है। शक संवत् १५८७में सावाजीने 'सुगन्धदशमी' नामक कथा लिखी है। महीचन्द्रने शक संवत् १६१८में आशापुरमें आदिपुराणकी रचना की है। अन्य कृतियोंमें अठाईवसकथा, गरुड़पञ्चमीकथा, बारहमासी गीत, अर्हन्तकी आरतो, नेमिनाथभवान्तर और कतिपय स्तोत्र परिगणित हैं। महाकोतिने शीलपताका नामक ग्रन्थ रचा है। इसमें ५५२ ओवियाँ हैं । सीताको अग्निपरीक्षा गुम्फित है 1 शक संवत् १६५०में लक्ष्मीचन्द्रने माननगर के चन्द्रप्रभचैत्यालयमें मेघमालाकी कथा लिखी है। यह आचार्यसुख्य काव्यकार एवं लेखक : ३२१
SR No.090510
Book TitleTirthankar Mahavira aur Unki Acharya Parampara Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherShantisagar Chhani Granthamala
Publication Year
Total Pages510
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size10 MB
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