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________________ तीन रचनाएं उपलब्ध हैं - १. यशोधरचरित २. गिरिनारयात्रा ३. और पारिश्वनाथभवान्तर । यशोधरकी कथा संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंश, गुजराती हिन्दी और कन्नड़ आदि भाषाओं में लिखित उपलब्ध है । मेघराजने मराठीमें इस काव्यकी रचना कर एक नयी परम्पराका सूत्रपात किया है । गिरिनार यात्रा में यात्रायणन है । इस कृतिका प्रथम चरण मराठीमें और द्वितीय चरण गुजराती में लिखा गया उपलब्ध होता है । पार्श्वनाथ भवान्तर कृति में पारवनाथके पूर्वभवके सम्बन्धमें कथा वर्णितकी गयी है। इसमें उनके ९ भवोंकी कथा काव्य शैलीमें गुम्फित है । वीरदास या पासकांति इनका गृहस्थ नाम वीरदास है और ये त्यागी होनेके पश्चात् पातकीर्तिके नामसे प्रसिद्ध हुए हैं। ये कारंजाके बलात्कारगण के भट्टारक धर्मचन्द द्वितीयके शिष्य हैं। इनका जन्म सोहित वाल जाति में हुआ था । इन्होंने शक संवत् १५४९ में 'सुदर्शनचरित' की रचना की है और शक संवत् १६४५ में आवियाँकी । 'सुदर्शनचरित' में सेठ सुदर्शनकी कथा अंकित है। इसमें शीलव्रत और पंचनमस्कार मन्त्रका माहात्म्य बतलाया गया है। इसमें २५ प्रसंग हैं। ओदियों में ७५ ओवियोंका संग्रह है। इसे बहत्तरी भी कहा गया है। इस ग्रन्थमें अकारादि कमसे धर्म विषयक स्फुट विचारोंका संकलन किया गया है। महितसागर महितसागर का जन्म शक संवत् १६९४में और मृत्यु शक संवत् १७५४में हुई है। इन्होंने शक संवत १७२३ में रविवार कथा लिखी तथा शक संवत १७३२में बालापुरमें आदिनाथ पञ्चकल्याणिक कथा लिखी है । इनको अबतक निम्नलिखित कृतियाँ प्राप्त हो चुकी हैं १. दशलक्षण २. शोषकारण ३. रत्नत्रय ४. पञ्चपरमेष्ठीगुणवर्णन ५. सम्बोध सहस्रपदो ६. देवेन्द्रकीतिकोनावणी ७. तीर्थंकरोंके भजन ८. भारती संग्रह ३२० : तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य-परम्परा
SR No.090510
Book TitleTirthankar Mahavira aur Unki Acharya Parampara Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherShantisagar Chhani Granthamala
Publication Year
Total Pages510
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size10 MB
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