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________________ विद्वत्ताका अनुमान सहज में किया जा सकता है। रस-ध्वनिको कविने सिद्धान्तरूपमें स्वीकार किया है । कवि भाग्यवादी है । उसे स्वप्न, निमित्त और ज्योतिषपर विश्वास है । हरिचन्द्रका अभिमत है कि कार्य प्रारम्भ करनेके पहले व्यक्तिको अच्छी तरह विचार कर लेना चाहिये। बिना विश्वारे कार्य करनेवाले मनुष्यका निस्सन्देह उस प्रकार नाश होता है, जिस प्रकार तक्षससे मणि ग्रहण करनेके इच्छुक मनुष्यका होता' है । इस कथनसे यह स्पष्ट है कि हरिचन्द्र विवेकशील और सोच-समझकर कार्य करने वाले थे । स्त्रियोंके सम्बन्धमें कविकी अच्छी धारणा नहीं है । कवि स्वाभिमानी, व्रत और चरित्रनिष्ठ है। धर्मशर्माभ्युदय और जीवनभरचम्पूके अध्ययन से कविके औदार्य आदि गुणों पर भी प्रकाश पड़ता है । स्थितिकाल महाकवि हरिचन्द्रके स्थितिकाल के सम्बन्धमें कई विचारधाराएँ उपलब्ध है । यतः हरिचन्द्र नामके कई कवि हुए हैं । प्रथम हरिचन्द्र नामके कवि चरकसंहिताके टीकाकारके रूपमें उपलब्ध होते हैं । इनका समय अनुमानत: ई० प्रथम शती है। माधवनिदानकी मधुकोशी व्याख्यामें हरिचन्द्र और भट्टारक हरिचन्द्र के नाम आये हैं । वाणभट्टने हर्षचरितके प्रारम्भ में भट्टारक हरिचन्द्रका उल्लेख किया है। राजशेखरको काव्यमीमांसा" और " कर्पूरमंजरी में भी हरिचन्द्रका नामोल्लेख मिलता है । गउडवही में ' भास, कालिदास और सुबन्धु के साथ हरिचन्द्रका भी नामनिर्देश प्राप्त होता है । स्व० पण्डित नाथूराम प्रेमीने धर्मशर्माभ्युदयकी पाटणकी एक पांडुलिपिका १. धर्म० १८ २८ । २. अत्र केचित् हरिचन्द्रादिभिर्व्याख्यातं पाठान्तरं पठन्ति -- मधुकोशी व्या० माघवनिदान, पृ० १७, पंक्ति १० । २. पदवन्धोजक्लोहारी रम्यवर्णपदस्थितिः । मट्टारकहरिचन्द्रस्थ गन्धो नृपायते || हर्षचरित् ११३ ० १० । ४. हरिचन्द्रगुप्ती परीक्षिताविह विद्यालयाम । - का० मी० अ० १०, पृ० १३५ ( बिहार राष्ट्रभाषा संस्करण १९५४ ) | विदूषकः - ( सक्रोधम् ) – उज्जुअंता किंण भगद्द अम्हाणं चेडिया हरिनंद-दिमंदकोट्टिसहाल्पहूदीणं वि पुरदी सुकइ सि ? - कपूरमंजरी, चौखम्बा संस्करण, १९५५ जय निकान्तर, पृ० २९ १ ६. मासम्मि जलनमित्ते कन्तीदेवे अजस्स रहुआरे । सोवन्ध अधम्म हरिचंदे अ आणंदो || ८००, गउडवहो, भाण्डारकर, ओरियण्टल इन्स्टीट्यूट पूना, १९२७ ई० । १६ : तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य-परम्परा
SR No.090510
Book TitleTirthankar Mahavira aur Unki Acharya Parampara Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherShantisagar Chhani Granthamala
Publication Year
Total Pages510
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size10 MB
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