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________________ सावित्रीके गर्भसे उदयराज नामक पुत्र भी प्राप्त था। जिस समय उदयराजका जन्म हुआ, उस समय कवि अपने 'मिणाहचरिउ' की रचना कर रहा था । रइधू पद्मावतीपुरवालवंश में उत्पन्न हुए थे। इनका अपरनाम सिंहसेन भी बताया जाता है । रइधू अपने माता-पिताके तृतीय पुत्र थे । इनके अन्य दो बड़े भाई भी थे, जिनके नाम क्रमशः बहोल और मानसिंह थे । रइघू काष्ठासंघ माथुरगच्छकी पुष्करणीय शाखासे सम्बद्ध थे ! रइधूके ग्रन्थोंकी प्रशस्तियोंसे अवगत होता है कि हिसार, रोहतक, कुरुक्षेत्र, पानीपत, ग्वालियर, सोनीपत और योगिनीपुर आदि स्थानोंके श्रावकोंमें उनकी अच्छी प्रतिष्ठा थी । वे ग्रन्थ रचना के साथ मूर्ति प्रतिष्ठा एवं अन्य क्रिया काण्ड भी करते थे। रइधूके बालमित्र कमलसिंह संघवीने उन्हें बिम्बप्रतिष्ठाकारक कहा है । गृहस्थ होने पर भी कवि प्रतिष्ठाचार्यका कार्य सम्पन्न करता था । कविके निवास स्थानके सम्बन्ध में निश्चित रूपसे कुछ नहीं कहा जा सकता है । पर ग्वालियर, उज्जयिनीके उनके भौगोलिक वर्णनको देखनेसे यह अनुमान सहज में लगाया जा सकता है कि कविको जन्मभूमि ग्वालियर के आसपास कहीं होनी चाहिये; क्योंकि उसने ग्वालियरको राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक एवं धार्मिक स्थितियोंका जैसा विस्तृत वर्णन किया है उससे नगरीके प्रति कविका आकर्षण सिद्ध होता है । अतएव कविका जन्मस्थान ग्वालियर के आसपास होनी चाहिये । रइधूने अपने गुरुके रूपमें भट्टारक गुणकीर्ति, यश: कीर्ति श्रीपाल ब्रह्म, कमलकीर्ति, शुभचन्द्र और भट्टारक कुमारसेनका स्मरण किया है। इन भट्टाकोंके आशीर्वाद और प्रेरणासे कविने विभिन्न कृतियोंकी रचना की है। स्थितिकाल महाकवि रघूने अपनी रचनाओं की प्रशस्तियोंमें उनके रचनाकालपर प्रकाश डाला है । अभिलेखों और परवर्ती साहित्यकारोंके स्मरणसे भी कविके समय पर प्रकाश पड़ता है । कविने 'सम्मत्तगुणनिहाणकव्व की प्रशस्ति में इस ग्रन्थका रचनाकाल वि० सं० १४९९ भाद्रपद शुक्ला पूर्णिमा मंगलवार दिया है। 'रि' का रचनाकाल वि० सं० १४९६ अंकित है । रइधू- साहित्य में गणेशनृपसुत राजा डोंगरसिंहका विस्तृत वर्णन आया है । रइधू के 'सम्मइजिणचरिउ' के एक उल्लेख के अनुसार वह उस समय ग्वालियर दुर्ग में ही निवास १. सम्मत गुणनि हा णकव्च, ४।२४।८-१० । २. सुक्कोसलचरिव ४०२३०१-३ | 1 आचार्य तुल्य काव्यकार एवं लेखक : १९९
SR No.090510
Book TitleTirthankar Mahavira aur Unki Acharya Parampara Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherShantisagar Chhani Granthamala
Publication Year
Total Pages510
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size10 MB
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