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________________ ग्रंथकी एक ही प्रति उपलब्ध है, जो पं० परमानन्दजीके पास है। इस ग्रंथमें ११ सन्धियाँ हैं और २०२ कड़वक है। कविने पार्श्वनाथचरितको इस ग्रंभमें निबद्ध किया है। पूर्वभवावलीके अनन्तर पार्श्वनाथके वर्तमान जीवनपर प्रकाश डाला गया है । उनको ध्यानमुद्राका चित्रण करते हुए कविने लिखा है--- तत्थ सिलायले थक्कु जिणिदो, संतु महंतु तिलोयहो वंदो। पंच-महव्वय-उद्दयकंधो, निम्ममु चत्तचब्दिहबंधो । जीवदयावरु संगविमुक्को, णं दहलक्खणु धम्मु सुरुक्को । जम्म-जरामरणुज्झियदप्पो, बारसभेयतवस्समहप्पो। मोह-तमंध-पयाव-पयंगो, खंतिलयारहणे गिरितुगो। संजम-सील-विहूसियदेहो, कम्म-कसाय-हुआसण-मेहो । पुष्पंधणुवरतोमरवंसो, मोक्ख-महासरि-कीलणहंसो । इंदिय-सप्पइं विसहरमंतो, अप्पसरूव-समाहि-सरंतो। केवलणाण-पयासण-कखू, घाणपुरम्मि निवेसियचक्ख, । णिज्जियसासु पलंबिय-वाहो, णिच्चलदेह विसज्जियवाही । कंचणसेलु जहा थिरचित्तो, दोधकछंद इमो बुह वुत्तो। की लीर्थकर मारप एक गिलागर मानम्थ बैठे हुए हैं ! वे त्रिलोकवर्ती जीवोंके द्वारा वन्दनीय हैं, पंचमहाव्रतोंके धारक हैं। ममता-मोहसे रहित हैं और प्रकृति, प्रदेश, स्थिति तथा अनुभागरूप चार प्रकारके बन्धसे रहित हैं। दयालु और अपरिग्रही हैं। दशलक्षणधर्मके धारक हैं। जन्म, जरा और मरणके दर्पसे रहित और द्वादश तपोंके अनुष्ठाता हैं। मोहरूपी अन्धकारको दूर करनेके लिये सूर्यतुल्य हैं। क्षमारूपी लसाके आरोहणार्थ वे गिरिके तुल्य उन्नत हैं। संयम और शीलसे विभूषित हैं। और कर्मरूप कषाय-हुताशनके लिये मेध हैं। कामदेवके उत्कृष्ट वाणको नष्ट करनेवाले तथा मोक्षरूप महासरोवरमें क्रीड़ा करनेवाले हंस हैं। इन्द्रियरूपी विषधर सोको रोकनेके लिये मंत्र हैं ! आत्मसमाधिमें लीन रहने वाले हैं । केबलज्ञानको प्रकाशित करने वाले सूर्य हैं। नासाग्रदृष्टि, प्रलंब बाहु, योगनिरोधल, व्याधिरहित एवं सुमेरुके समान स्थिर चित्त हैं। इससे स्पष्ट है कि 'पासणाहरित' एक सुन्दर काव्य है । इसमें महाकाव्यके सभी लक्षण पाये जाते हैं। बीच-बीचमें सिद्धान्त-विषयोंका समावेश भी १. जैन ग्रंथप्रशस्तिसंग्रह, वितीय भाग, वीर-सेवा-मंदिर, २१ परियागंज, दिल्ली, प्रस्तावना, पू० ७६ पर उद्भत । आवार्यतुल्य काम्यकार एवं लेखक : १८३
SR No.090510
Book TitleTirthankar Mahavira aur Unki Acharya Parampara Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherShantisagar Chhani Granthamala
Publication Year
Total Pages510
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size10 MB
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