SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 19
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ कवि परमेष्ठी या परमेश्वर त्रिषष्टिशलाकापुरुषोंके परितका अंकन करने वाले कवि परमेष्ठी या कवि परमेश्वर हैं । इस कविको सूचना श्री डा० ए० एन० उपाध्येने नागपुरमें सम्पन्न हुए प्राच्यविद्या-सम्मेलनके अवसर पर अपने एक निबन्ध द्वारा दी है। कवि परमेश्वर अपने समयके प्रतिभाशाली कवि और वाग्मी विद्वान हैं | चामुण्डरायने अपने पुराणमें इनके कतिपय पद्य उपस्थित किये हैं। इन पद्योंसे कविकी प्रतिभा और काव्यक्षमताका परिचय प्राप्त होता है। ___कवि परमेश्वरका स्मरण ९वीं शतीसे लेकर १३वीं शती तकके कन्नड़ कवि एवं संस्कृतके कवि करते रहे हैं | आदि पम्प (९४१ ई०), अभिनव पम्प (११०० ई.), नयसेन (१११२ ई०), अग्गल (१९८९ ई०) और कमलभव इत्यादि कन्नड़कवियोंने आदरपूर्वक तार्किक कवि समन्तभद्र और वैयाकरण पूज्यपाद इन दोनोंके साथ कवि परमेष्ठीका उल्लेख किया है। आदि पम्पने इन्हें जगतप्रसिद्ध कवि कहा है श्रीमत्समन्द्रभद्रस्वामिगल जगत्प्रसिद्ध कविपरमेष्ठि स्वामिगल पूज्यपाद-- स्वामिगल पदंगलीगे शाश्वत पदमः ।। आदिपुराण १-१५, मैसूर १९०८ X श्रीमत्समन्तभद्रस्वामिगल नेगलतेवेत्त कविपरमेष्ठिस्वामिगल पूज्यपादस्वामिगल पदंगलीगे बोधोदयम | धर्मामृत १-१४, मैसूर १९२४ · गुणवर्म द्वितीयने 'पुष्पदन्तपुराण' (अध्याय १, श्लोक २६) में इन्हें सरस्वतीके समान अभिनन्दनीय माना है। पार्श्व पण्डितने अपने पुराणमें गुणज्येष्ठ विशेषण द्वारा कवि परमेष्ठीका उल्लेख किया है। कन्नड़-कवियोंके साथ आचार्य गुणभद्रने कवि परमेश्वरके गद्यकथाकाव्यका निर्देश किया है१. जैन सिद्धान्त भास्कर, भाग १३, किरण २, पृ० ८१ । २. वही, पृ० ८२ । ४ : तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्यपरम्परा
SR No.090510
Book TitleTirthankar Mahavira aur Unki Acharya Parampara Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherShantisagar Chhani Granthamala
Publication Year
Total Pages510
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy