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________________ मुनि कनकाअर मुनि कनकामरने ‘करकंडुचरिउ'के आदि और अन्तमें अपने गुरुका नाम पंडित या वुधमंगलदेव बताया है । अन्तिम प्रशस्ति में कहा है कि वे बाह्मणा वेशके चन्द्रऋषिगोत्रीय थे । जब विरक्त होकर बे दिगम्बर मुनि हो गये, तो उनका नाम कनकामर प्रसिद्ध हुआ | श्री डॉ. हीरालाल जी जेनने बताया है कि पट्टाबलियोंके अनुसार सुस्तिके शिष्य सुस्थित और सुप्रतिबुद्ध द्वारा स्थापित कोटिकगणकी बैरिशाखाका एक कुल चन्द्रनामक हुआ । चन्द्रकुलके भी अनेक अन्वय और गच्छ हुए । उत्तराध्ययनको शिष्यहिता नामक वृत्तिके कर्ता शान्तिसूरि चन्द्र कुलके काठकरान्वयसे उत्पन्न थारापद्र-गच्छके थे और सुखबोधटीकाके कर्ता देवेन्द्र गणिण भी चन्द्रकुलके थे। किन्तु ये सब श्वेताम्बर परम्पराके भेद-प्रभेद हैं, दिगम्बर परम्पराके नहीं। मुनि कानकामर दिगम्बर मुनि थे । अतएव कमकामरका चन्द्रऋषिगोत्र देशीगणके चन्द्रकराचार्याम्नायके अन्तर्गत है । इतिहाससे यह सिद्ध है कि चन्देल नरेशोंने भी अपनेको चन्द्रात्रेयऋषिवंशी कहा है। अत: बहत्त संभव है कि चन्द्रकराचार्याम्नाय चन्देलवंशी राजकुलमेंसे ही हुए किसी जैन मुनिने स्थापित किया हो । स्वयं कनकामर भी इसी कुलके रहे हों। ___ कविकी गुरुपरम्पराके सम्बन्ध में विशेष जानकारी प्राप्त नहीं होती । अन्तिम प्रशस्तिमें उन्होंने अपनेको बुधमंगलदेवका शिष्य कहा है । श्री डॉ० हीरालाल जी जैनने रत्नाकर या धर्मरत्नाकर नामक संस्कृत-ग्रंथके रचयिता पं० मंगलदेवको कहा है। इस मंथकी पाण्डुलिपियां जयपुर और कारंजामें प्राप्त हैं। जयपुरकी प्रतिमें पुष्पिकावाक्य निम्न प्रकार है "सं० १६८० वर्षे काष्ठासंघे नन्दतटग्रामे भट्टारकश्रीभूषणशिष्यपंडितमंगलकृतशास्त्ररत्नाकरनाम शास्त्र सम्पूर्ण ।" इससे डॉ० जैनने यह अनुमान लगाया है कि सं० १६८० ग्रंथरचनाका काल नहीं, लेखनका काल है। कारंजाके शास्त्रभंडारकी प्रतिमें उसका लेखनकाल १६६७ अंकित किया है। काष्ठासंघ और नन्दीतट ग्रामका प्राचीनतम उल्लेख देवसेनकृत दर्शनसार गाथा ३८ में प्राप्त होता है, जहां वि० सं० ७५३ में नन्दितटग्राममें काष्ठासंघको उत्पत्ति बताई गई है। यदि कनकामरके १. डॉ. हीरालाल : परिउफरकंड, भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन, सन् १९६४, प्रस्तावना आवायतुल्य काव्यकार एवं लेखक : १५९
SR No.090510
Book TitleTirthankar Mahavira aur Unki Acharya Parampara Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherShantisagar Chhani Granthamala
Publication Year
Total Pages510
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size10 MB
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