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________________ हुआ था; पर अन्तमें वह जैन धर्मावलम्बी हो गया था । कवि द्वारा निर्दिष्ट उल्लेखोंके आधारपर उसकी प्रतिभा और कवित्वशक्तिका परिशान होता है । धवलने हरिवंशपुराणको रचना की है। डॉ० प्रो० हीरालाल जैनने 'इलाहाबाद यूनिवर्सिटी स्टडीज' भाग १, सन् १९२५ में नवल कवि द्वारा रचित हरिवंशपुराणका निर्देश किया था। स्पिलिकाल कवि धवलके निर्देशों के आधारपर कविका समय १०वीं - ११वीं शती सिद्ध होता है । कविने ग्रन्थके प्रारम्भमें अनेक कवियोंका स्मरण करते हुए लिखा है कवि चयकवाइ पुब्वि गुणवंतत्र धीरसेनू हुँतउ णयवंतउ | पुणु सम्मत्तई धम्म सुरेगल, जेण पमाण गंथु किउ चंगउ । देवणंदि बहू गुण जस भूसिउ जे वायरण जिणि पयासिल | बज्जसू सुपसिद्ध मुनिवरु, जे पयमाणुगंधु किउ सुंदरु | मुणि महसेणु सुलोयण जेणवि, पउमचरित्र मुणि रविसेणेणवि । जिणसेणे हरिवंसु पवित्तुवि, जटिल मुणीण वरंगचरितु वि । दिणयरसेणें चरिउ अणंगहु, पउमसेण आयरिय पसंगहु । अंधसेणु जें अमियागहणु विरइय दोस-विवज्जिय सोहण | जिणचंद पहचरिउ मनोहरु, पावरहिउ घणमत अण्णामि किय इंमाई तुह पुराइ विण्हसेण रिसण सीहणंद गुरखें सिद्धसेणु जें गेए आगउ, भविय विणीय पर्याा सिउ राममंदि जे विविह पहाण जिणसासणि बहुरइय कहाणा । अगमहाकइ जें सु मणोहरु वीरडिणिदु-चरिउ किउ सुंदरु । कित्रिय कम सुकइ गुण आयर गेय कन्त्र जहि विरइय सुंदर । सणकुमार जे विरमउ मणहरु, कय गोविंद पवरु सेयंवरू । तह वक्खर जिणरखिय सावड जें जय धवल भुवणि विषखाइउ । सालिहद्द कि कइ जीय उदउ लोयइ चहुमुहुं दोण पसिद्धउ | इक्कहि जिणसासणि उचलियउ सेदु महाकइ जसु णिम्मलियs । पउमचरिउ जें भुवणि पयासिउ, साहूणरहि नरवरहि पसंसिद्ध । उजड़ तो वि किंपि अवभासमि महियलि जे पियबुद्धि पयामि । अणुपेहा वरदेवेणवकांतु १. हरिवंशपुराण १ ३ । J समुन्दरु | चरितई । सुनेहा । चंगउ | आचार्य तुल्य काव्यकार एवं लेखक : ११७
SR No.090510
Book TitleTirthankar Mahavira aur Unki Acharya Parampara Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherShantisagar Chhani Granthamala
Publication Year
Total Pages510
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size10 MB
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