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दुर्योधनकुमारी उदधिको माँके पास छोड़कर यादव और पाण्डवकी सेनाके साथ मायामयो युद्ध करने लगा। उस युद्धको देखनेके लिये देव और दैत्य दोनों आये । नवम सर्ग
प्रलयसमुद्रके समान दोनों पक्षकी सेनाएँ अपना पराक्रम दिखलाने लगीं । श्रीकृष्ण प्रद्युम्न के पराक्रम और बाणकौशलको देखकर आश्चर्यचकित थे । अतः उन्होंने बाहुयुद्धका प्रस्ताव प्रद्युम्नके समक्ष रखा। दोनों बाहुयुद्धकी तैयारी में थे कि चारद आ गये और श्रीकृष्णद्युतका परिचय कराया | श्रीकृष्ण बहुत प्रसन्न हुए और धूमधामपूर्वक प्रद्युम्नका नगरमें प्रवेश कराया। उदधिके साथ प्रद्युम्नका विवाह सम्पन्न हुआ, जिसमें कालसंवर और कञ्चनमालाको भी आमन्त्रित किया गया । - दशम सर्ग
श्रीकृष्णकी जाम्बवती नामक पत्नीसे शम्ब नामक शूरवीर और दानी पुत्र उत्पन्न हुआ | श्रीकृष्ण उसकी वीरता से बहुत प्रसन्न थे। किन्तु एक दिन किसी कुलीन स्त्रीके शीलभंगके अपराधमें इसे नगरसे निर्वासित कर दिया । वसन्तमें प्रद्युम्न वनविहारके लिये गया और वहाँ उसे शम्ब मिला । शम्बका विवाह सम्पन्न किया गया । प्रद्युम्नके भी कई विवाह हुए। उसके अनिरुद्ध नामक पुत्र उत्पन्न हुआ । – एकादश सर्ग
तोर्थंकर नेमिनाथ पल्लवदेशसे विहार कर मौराष्ट्र आये। यादवोंने समयगरण में जाकर तीर्थंकरको वन्दना की । बलदेवने द्वारकाविनाश और श्रीकृष्णकी मृत्युके सम्बन्धमें प्रश्न किया। तीर्थंकरने नद्यपानके कारण द्वीपायनमुनिके निमित्तसे इस देवनगरीके विनाश और जरत्कुमारके वाणसे श्रीकृष्णकी मृत्युके सम्बन्ध में भविष्यवाणी की । जरत्कुमार वनमें चला गया और वहाँ आखेटकका जीवन यापन करने लगा । यादव इस भविष्यवाणीको सुनकर बहुत चिन्तित रहने लगे । रात्रि व्यतीत होने पर प्रातःकाल हुआ। द्रादश सर्ग
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श्रीकृष्ण रत्नजटित सिंहासन पर शोभित थे । सामन्त और सचिव उनकी सेवामें उपस्थित थे । विषयविरक्त और शान्त चित्त प्रद्युम्न अन्य राजकुमारोंके साथ हरिके समक्ष पहुँचा। उसने तीर्थंकरके पास दीक्षा ग्रहण करनेका विचार प्रकट किया | वह माता-पितासे अनुमति प्राप्त कर नेमिनाथ के चरणों में दीक्षित हो गया । रुनिमणी और सत्यभामाने भी दीक्षा धारण कर ली । - त्रयोदश स
प्रद्युम्नने घोर तपश्चरण किया । गुणस्थानका आरोहण कर कर्म प्रकृतियोंको नष्ट कर केवलज्ञान प्राप्त किया । शम्ब, अनिरुद्ध और काम आदि भी मुनि बन गये । प्रद्य ुम्नने अधातिया कर्मोंको नष्ट कर निर्वाण लाभ किया । - चतुर्दश सर्ग
to . तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परम्पर