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________________ पञ्चम समुद्देशमें ३ सूत्र हैं । इसमें प्रमाणके साक्षात् और परम्परा फलको बतलाकर उसे प्रमाणसे कथञ्चित् भिन्न और कथञ्चित् अभिन्न सिद्ध किया है। पळसमृद्द शमें ७४ सूत्र हैं । इसमें प्रमाणाभासों का विशद वर्णन आया है । स्वरूपाभास, प्रत्यक्षाभास, परीक्षाभास, स्मरणाभास, प्रत्यभिज्ञानाभास, तर्काभास, अनुमाना भाग, पक्षाभास, हेलाभास, हेत्वाभासके असिद्ध, विरुद्ध अनैकान्तिक और अकिञ्चित् उदाहरण हमामाय एवान्याभासके भेद, बालप्रयोगाभास आगमाभास, संख्याभास, विपयाभास, फलाभास तथा बादी और प्रतिवादीकी जय-पराजयव्यवस्थाका प्रतिपादन किया गया है । टीकाएँ इसपर उत्तरकालमें अनेक टीका व्याख्याएँ लिखी गयी है। इनमें प्रभाचन्द्राचार्यका विशाल प्रमेयक मलमार्त्तण्ड, लघु अनन्तवीर्यको मध्यम परिमाण वाली प्रमेय रत्नमाला, भट्टारक चारु कीर्तिका प्रमेय रत्नमालालङ्कार एवं शान्ति वर्गीकी प्रमेयकण्ठिका आदि टीकाएँ उपलब्ध हैं | परीक्षामुखसुत्रका प्रभाव आचार्य देवसूरि प्रमाणनयतत्त्रालोक और आचार्य हेमचन्द्रकी प्रमाणमीमांसा पर स्पष्ट दिखलाई पड़ता है । उत्तरवर्ती प्रायः समस्त जैन नैयायिकोंने इस ग्रन्थसे प्रेरणा ग्रहण की है। आचार्य प्रभाचन्द्र आचार्य प्रभाचन्द्र ने परीक्षामुख पर १२००० श्लोक प्रमाण 'प्रमेयकमलमार्त्तण्ड' नामकी बृहत् टीका लिखी है। यह जेन न्यायशास्त्रका अत्यधिक महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ है । इसके नामसे ही यह स्पष्ट है कि यह ग्रन्य प्रमेयरूपी कमलोंको उद्भासित करने के लिए मार्त्तण्ड —सूर्यके समान है। इसके अध्ययनसे प्रभाचन्द्रका दुष्य एवं व्यक्तित्व अत्यन्त महनीय विदित होता है । इन्होंने वैदिक और अवैदिक दर्शनोंका गहन अध्ययन किया था । इनकी अद्भुत विशेषता है कि किसी भी विषयका समर्थन वा निराम, जो भी हो, प्रचुर युक्तियोंसे करते हैं। ये तार्किक और दार्शनिक दोनों हैं । इनकी प्रतिपादन शैली एवं विचारधारा अपूर्व है । प्रमेयकममार्तण्ड और न्याय कुमुद चन्द्र की प्रशस्ति के अनुसार इनके गुरुका नाम नन्दि सैद्धान्तं' है । क्षवणबेलगोलाके ४० संख्यक अभिलेखमें गोल्लाचार्यके शिष्य पद्मनन्दि सैद्धान्तिकका उल्लेख हैं । इसी अभिलेखमें प्रथित तर्क ग्रन्थका र अब्दाम्भोरुहभास्कर प्रभाचन्द्रको उनका शिष्य बताया है। प्रभाचन्द्रके प्रथित तर्कप्रन्थकार और शब्दाम्भोरुहभास्कर ये दोनों विशेषण बतलाते हैं कि प्रभाचन्द्र न्यायकुमुदचन्द्र और प्रमेयकमलमार्त्तण्ड जैसे तर्कग्रन्थोंके रच प्रबुद्धाचार्य एवं परम्परापोषकाचार्य : ४५
SR No.090509
Book TitleTirthankar Mahavira aur Unki Acharya Parampara Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherShantisagar Chhani Granthamala
Publication Year
Total Pages466
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size10 MB
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