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________________ के पुत्र थे | नृपतुंग, शर्व, सण्ड, अतिशय धवल, वीर नारायण, पृथ्वीवल्लभ, लक्ष्मीवल्लभ, महराजाधिराज, भटार, परम भट्टारक आदि उनकी उपाधियाँ श्रीं | ये बड़े पराक्रमी राजा थे। इन्होंने राष्ट्रकूट वंशकी राज्यलक्ष्मीका उद्धार किया था। शक संवत् ७३५ में जब धवलाकी समाप्ति हुई थी, तब ये राजा थे। शक संवत् ७८२ के ताम्रपत्रसे ज्ञात होता है कि इन्होंने स्वयं मान्यखेटमें जैनाचार्य देवेन्द्रको दान दिया था। यह दानपत्र इनके राज्यके ५२ वर्षका है । शक संवत् ७९९ का एक अभिलेख कन्हरीको गुफा में मिला है, जिसमें इनका और सामन्त ' कपर्दी द्वितीयका उल्लेख है। इससे स्पष्ट है कि अमोघवर्षका राज्यकाल ईमाकी नवम शताब्दीका पूर्वार्द्ध है । यही समय महावीराचार्यका भी होना चाहिये। महावीराचार्यने गणित सारसंग्रहमें अमोघवर्षको स्याद्वाद - न्यायवादी और यथास्यातचारित्रका धारक बतलाया है । इससे यह ध्वनित होता है कि गणितसारसंग्रहके रचनाकाल तक उन्होंने राज्य तो नहीं छोड़ा था, पर उनकी वृत्ति युद्धको ओरसे हट गयी थी और उनका कोप वंध्य हो गया था । इस प्रकार महावीराचार्यका समय अमोघवर्षका राज्यकाल है । रचना महावीराचार्यका प्रामाणिक रूपसे एक 'गणितसारसंग्रह' ही प्राप्त है । यों इनके नामसे 'ज्योतिषपटल' का भी उल्लेख मिलता है, पर यह रचना अभी तक उपलब्ध नहीं है । 'गणित सारसंग्रह' में नव अध्याय हैं। प्रथम अध्याय संज्ञाधिकार है। इसमें गणितशास्त्रकी प्रशंसाकं अनन्तर क्षेत्रपरिभाषा, कालपरिभाषा, धान्यपरिभाषा, सुवर्णपरिभाया, रजतपरिभाषा, लोहपरिभाषा, परिकर्मनामावली, स्थानमान और संख्यासंज्ञा आदिका वर्णन आया है । द्वितीय अधिकार परिकर्मव्यवहार है । इसमें प्रत्युत्पन्न - गुणन, भागहार, वर्ग, वर्गमूल, घन, घनमूल, संकलित और व्युत्कलित गणितका उदाहरणसहित विवेचन आया है। तृतीय अधिकार कलासवर्ण व्यवहार है। इसमें भिन्न प्रत्युत्पन्न भिन्न भागहार, भिन्न सम्बन्धी वर्ग, वर्गमूल, घन, घनमूल, भिन्न संकलित, भिन्न व्युत्कलित भागजाति, प्रभाग जाति, भागाभागजाति, भागानुबन्ध जाति, भागापवाहजाति, भागमात्रिजातिका गणित उदाहरणसहित वर्णित है। चतुर्थ अधिकार प्रकीर्णव्यवहार है । इसमें भिन्नोंके विविध प्रश्न वर्णित हैं । भाग और शेपजाति, भूल जाति, शेषमूलजाति, द्विरप्रशेषमूलजाति, अंशमूलजाति, भाग, संवर्गजाति, ऊनाधिक अंशवगंजाति, मूलमिश्रजाति और भिन्नदृश्यजातिका गणित आया है । पञ्चम अधिकार राशिकव्यवहारसंज्ञक है। इसमें अनुक्रम त्रैराशिक, १. जनरल बोम्बे नाँच, रॉयल एशियाटिक सोसाइटी, जिल्द १०, पृ० १९४ । ३६ : तीर्थकर महावीर और उनकी आचार्यपरम्परा
SR No.090509
Book TitleTirthankar Mahavira aur Unki Acharya Parampara Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherShantisagar Chhani Granthamala
Publication Year
Total Pages466
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size10 MB
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