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________________ मांगीतुगी पर्वतकी यात्रा की। इस समय जिनसागर, रत्नसागर, चन्द्रसागर, रूपजी, वीरजी, आदि क्षात्र भी आपके साथ थे। इसके पश्चात् गिरिनारकी यात्रा के लिये जाते हुए आप सूरतमें ठहरे । वहाँ माघ शुक्ला प्रतिपदाको आणन्द नामक श्रावकने 'णायकूमारचरिज'की एक प्रति आपको अर्पित की। शक संवत् १६५१ को वैशाख कृष्णा अयोदशीको इन्होंने केसरियाजीकी यात्रा की तथा उसी वर्ष मागशीपं शुबला पञ्चमीको तारंगा पवंत और कोटिशिलाकी वन्दना की। इसी वर्ष पौष कृष्णा द्वादशीको गिरिनारको और माघकृष्णा चतुर्थीको शत्रुजय पर्वतकी यात्रा की और मार्गमें सूरतमें पड़ाब डाला ।। वि० सं० १७२७की भाद्रपद शुक्ला पञ्चमीको आर्यिका पारामतीके लिए थीचन्द्र विरचित कथाकोशकी एक प्रति लिखवायी। इनके द्वारा लिखी एक नन्दीश्वर-आरती भी उपलब्ध है। आगरानिवासी बनारसोदासके पुत्र जीवनदासको पहले इनके विषय में अनादर था, किन्तु सरतके चातुर्मासमें इनकी विद्वत्ता देखकर वे इनके शिष्य बन गये। बद्धिसागर और रूपचन्द ने भी इनकी स्तुति की है । इनके शिग्य माणिकन्दिने शक संवत् १६४६ की भाद्रपद शुक्ला पतुर्दशीको अनन्तनाथ-आरतीकी रचना की है। अतएव इनका समय वि० सं० को १८वीं शती सुनिश्चित है। देवेन्द्रकीर्तिने कल्याणमन्दिरपूजा, विपापहारपूजा इन दो पूजाग्रन्थोंकी रचना की है। ये दोनों रचनाएँ साधारण हैं। रचनाएँ संस्कृत भाषामें हैं। कल्याणमन्दिरमें रचनाकालका निर्देश भी किया गया है । यथा-- गुणवेदांगचंद्राब्दे शाके १६४३ फाल्गुनमास्येदं । कारंजाख्यापुरे दृष्टं चन्द्रनाथदेवार्चनम् ।। इति श्रीबलात्कारगणेयं भ० देवेन्द्रकोर्तिविरचितम् । कल्याणमंदिरपूजा संपूर्णम् ॥ जिनसागर बलात्कारगण कारज्जा शाखाके भट्टारक देवेन्द्रकीतिके शिष्योंमें जिनसागर प्रमुख हैं । जिनसागरने शक संवत्की १७वीं शती और वि० सं० की १८वीं शती में कई रचनाएँ लिखी हैं । कवि संस्कृत और हिन्दी दोनों ही भाडाओंके विद्वान हैं, पर इनकी अधिकांश रचनाएँ हिन्दीमें पायी जाती हैं। अब तक इनकी निम्नलिखित रचनाओंकी सूचनाएँ प्राप्त है १. आदित्यवत्तकथा ( शक संवत् १६४६ चैत्रकृष्णा पंचमी), २. जिनकथा ( शक सं० १६४९) १. मा. नाम, . १.... । प्रबुद्धाचार्य एवं परम्परागोषकाचार्य : ४४९
SR No.090509
Book TitleTirthankar Mahavira aur Unki Acharya Parampara Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherShantisagar Chhani Granthamala
Publication Year
Total Pages466
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size10 MB
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