SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 426
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ काव्याधित उपकरणांका निर्देश करते हुए, सब्दालंकार और अर्था-नारोंके साा गण, नैति और रसभावोंको महत्त्व दिया गया है। सिद्धान्त विषयोंक परिचय प्रसंगमें गणरभान, मार्गणा, ध्यान एवं तगोंका विवेचन किगा गया है। इगरी स्पष्ट है कि काव्य, सिद्धान्त और आचार इन तीनोंकी त्रिवेणी इस ग्रन्थमें पायो जाती है । टीकाकार नेमिचन्द्र नेमिचन्द्र नामके अनेक आचार्योका निर्देश जैन इतिहास प्राप्त होता है। गोम्मटमार और त्रिलोकसार आदि ग्रन्थोंके रचयिता सिद्धान्तचक्रवतीने नेमिचन्द्र और द्रव्यसंग्रहके रचयिता नेमिचन्द्रके अतिरिक्त गोम्मटसारको जीवतत्त्वप्रदीपिकाके रचयिता नेमिचन्द्र भी उपलब्ध होते हैं। इनके अतिरिक्त विजयकीतिक शिष्य नामचन्द्र, जिनका समय विकी १८वीं शताब्दी है, निर्देश प्राप्त होता है। बलात्कारगण ईडर शाखाक पदापर नरेन्द्रकीत्तिके पश्चात् क्रमशः विजयकोति, नेमिचन्द्र और चन्द्रकीति भट्टारक हुए हैं। बलात्कारगणके आचार्योंमें श्रीधर शिष्य नेमिचन्द्रका उल्लेख प्राप्त होता है। श्रवणबेलगोलाके अभिटेखोम कोण रके अभिलेखमें बताया है आ मुनिमुख्यन शिष्यं श्रीमच्चारित्रक्रिसुजनविलासं । भमिपकिरीटताडितकोमलनखरश्मिनेमिचन्द्रभनी ।। श्रवणबेलगोलाके अभिलेखोंमें नयकोतिके शिष्य नेमिचन्द्रका निर्देश मिलता है। अभिलेखसंख्या १२२ और १२४में नयोति सिद्धान्तदेवकी परम्परामें भानुकीति, प्रभाचन्द्र, माघनन्दि, पद्मनन्दि और नेमिचन्द्र के नाम आते हैं। ये अभिलेख शकसंवत् ११०३ और शकसंवत् ११२२के हैं। इससे नेमिचन्द्रका समय चि०सं० को १३वीं शताब्दी सिद्ध होता है। __ नेमिचन्द्र नामके एक अन्य भट्टारकः सहस्रकीर्तित शिष्यके रूपमें उल्लि. खित मिलते हैं। इनका समय वि०को १७वीं शताब्दी प्रतीत होता है । पट्टावलीमें नमिचन्द्रके गृहस्थवर्ष, दीक्षावर्ष और स्वर्गारोहणवर्षका उल्लेख है। बताया गया है कि सहस्रकीतिके पट्टपर वि० सं० १६५०को श्रावण शुक्ला त्रयोदशीको नेमिचन्द्रका पट्टाभिषेक हआ। ये ११ वर्षों तक भट्टारक पदपर आसीन रहे। संवत् १६५४की आषाढ़ कृष्णा एकादशीको अजमेरमें इनकी शिष्या बाई सवीराके लिए वसुनन्दिचावकाचारको एक प्रति लिखायी गयी | १. भट्टारक सम्प्रदाय, शोलापुर, लेखांक ९१, पद्य २३ । २. भट्टारक-सम्प्रदाय, लेखांक २८५ । ३. वसुनन्दि-श्रावकाचार, भारतीय ज्ञानपीट काशी, सन् १९४४, प्रस्तावना, पृ० १५ । ४१४ : तीर्थकर गहावीर और उनकी आचार्यपरम्परा
SR No.090509
Book TitleTirthankar Mahavira aur Unki Acharya Parampara Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherShantisagar Chhani Granthamala
Publication Year
Total Pages466
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy