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रचनाएँ अझ नेमिदत्त को लगभग १२-१३ रचनाएं प्राप्त हैं १. आराधनाकथाकोश २. नेमिनाथपुराण ३. श्रीपालचरित ४. सुदर्शनचरित ५. रात्रि-भोजनत्यागकथा ६. प्रोसकरमहामुनिनरित ७. धन्यकुमारचरित ८. नेमिनिर्वाणकाव्य-इसको प्रति ईडरमें प्राप्त है। ९. नागकुमारकथा १०, धर्मोपदेशपीयूषवर्षश्रावकाचार ११. मालारोहिणी १२. आदित्यचारनतरास
आराषनाकथाकोश-आराधनाकथाकोश प्रसिद्ध कथानन्य है। इसका प्रकाशन हो चुका है। इसको सभी कथाएं अहिंसादि व्रतोंसे सम्बद्ध हैं । सामान्य व्यक्ति भी इन कथाओंके अध्ययनसे अपने चरितको उज्वल कर सकता है। संसारके विषय-कषायोंमें निमग्न व्यक्तिको ये कथाएं आत्मोत्थानकी ओर प्रेरित करती हैं। वास्तव में ब्रह्मनेमिदत्तके आराधनाकथाकोशका कथासाहित्यकी दृष्टिसे बहुत ही महत्त्वपूर्ण स्थान है ।
भोपालचरित-इस ग्रन्थमें ९ अधिकार हैं और श्रीपालको कथा वर्णित है। इसको प्रशस्तिमें कविने अपना परिचय लिखा है। ९३ अधिकारके अन्त में दी हुई प्रशस्तिमें बताया है
"इति श्रसिद्धचक्रपूजातिशयं प्राप्ते श्रीपालमहाराजचरिते भट्टारकश्रीमल्लि. भूषणशिष्याचार्य श्रीसिंहर्नान्दब्रह्मश्रीशांतिदासानुमोदिते ब्रह्मनेभिदविरचिते श्रीपालमहामुनींद्रनिर्वाणगमनो नाम नवमोधिकारः समाप्तः ।"
इस चरितके रचनेका उद्देश्य कविने सिद्धचक्रका महात्म्य बतलाया है। सर्गबद्ध कथा नियोजित है । श्रीपालके जन्मसे लेकर उनके निर्वाणपर्यन्त चरितका अंकन किया गया है । भाव और शैलीको दृष्टिसे यह रचना अध्ययनीय है।
नेमिनापपुराण-इस पुराणग्रन्थकी रचना सोलह अधिकारोंमें की गयी है और इसमें नेमिनाथका चरित अंकित है। उनके गभं, जन्म, तप, ज्ञान और केवल इन पांचों कल्याणकोंका विस्तारपूर्वक वर्णन आया है। नेमिनाथको अपूर्व शक्तिसे ४०४ : तीर्थकर महावीर और उनको आचार्य-परम्परा
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