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________________ भट्टारक जिनसेन द्वितीय जिनसेननामके दो भट्टारकोंका निर्देश मिलता है। एक सोमसेनके पट्ट पर आसीन होनेवाले जिनसेन हैं। इन्होंने शक संवत् १५७९५ को मार्गशीर्ष शुक्ला दशमीको पाश्र्वनाथको मूर्ति प्रतिष्ठित की थी और शकसंवत् १५८० में पद्मावतोको मूर्ति । यह प्रतिष्ठा कारजामें सम्पन्न हुई थी। शक संवत् १५८१ की फाल्गुन शुक्ला त्रयोदशोको चरिया माणिकने रत्नाकर विरचित समवशरणपाठको एक प्रति आपको समर्पित की थी। कहा जाता है कि अचलपुरमें आपको एकवरर सर्पदंश हआ और दूसरी बार धोखेसे भोजनमें बचनाग खिला दिया गया, पर दोनों ही बार विषापहार स्तोत्रके पाठसे आप नारोश हो गये : समा जागिर रायमलशाहके पुत्र थे। इनकी जन्मभूमि खम्भात थी। इन्होंने विद्याभ्यास पद्मनंदिके पास किया था । और कारजा में पाभिषेक हुआ था । गिरनार, सम्मेदशिखर, माणिक्यस्वामी आदिकी यात्राएँ इन्हाने की थीं। इनके द्वारा सोयराशाह, निम्बाशाह, माधवशाह, गनवाशाह ओर कान्हाशाह इन पांच व्यक्तियों को संधपतिको उपाधि प्राप्त हुई थी। ये म्यूपिच्छ धारण करते थे। पूरनमलने इनकी स्तुति की है-- मलसंघ कुलतिलक, गछ पुष्कर मे सोहे। चारित्र गणमे मुख्य सेनगण महिमा मोहे ।। भट्टारक जिनसेन गुरु मारपीछ हस्ते धरे । पूरनमल यों कहे भव्यलोक तारण तरण || द्वितीय जिनसेन भट्रारक यशःकोतिके शिष्य हैं। इनकी एक कृति नेमिनाथरास उपलब्ध हई है, जिसकी रचना वि० सं० १५५८ माध शबला पंचमी गुरुवार सिद्धयोगमें जवाच्छ नगरमें सम्पन्न हई है। ग्रन्थके अन्त में अपने गुरु एवं रचनाकालका निर्देश किया है श्री याकरति सूरीनि सूरीश्वर कहीइ, महीपलि महिमा पार न लही रे । तात रूपवर वरसि नित वाणी, सरस सकोमल अमीय सयाणी रे ।। तास चलणे चित लाइउ रे, गाइड राइ अपरख रास रे। जिनसेन युगति करी दे, तेह ना वयण तणाउ वली वास रे ॥११॥ चंद्र वाण संवच्छर कीजि, पंचाणु पुण्य पासि दीजि । माघ सुदि पंचमी भणीजि, गुरुवारि सिद्धयोग ठवीजिरे ॥ जाक्छ नयर जगि जाणोइ रे, तीर्थंकर बली कहींइ सार रे । शांतिनाथ तिन्हां सोलमु रे। कस्यु राम तेह मवण मझार रे ।।९३॥ ३८६ : तीर्थकर महावीर और उनको नाचार्य-परम्भग
SR No.090509
Book TitleTirthankar Mahavira aur Unki Acharya Parampara Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherShantisagar Chhani Granthamala
Publication Year
Total Pages466
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size10 MB
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