SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 364
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ रचनाएँ भट्टारक ज्ञानभूषणने संस्कृत और हिन्दो दोनों ही भायोंमें रचनाएँ लिखी हैं । निम्नलिखित संस्कृत-रचनाएँ प्रसिद्ध है १. आत्मसम्बोधन काव्य २. ऋषिमण्डलपूजा ३. तत्त्वज्ञानतरंगिणी ४. पूजाष्टकटीका ५. पञ्चकल्याणकोद्यापनपूजा ६. नेमिनिर्वाणकाध्यकी पञ्जिकाटीका ७. भक्तामरपूजा ८. श्रुतपूजा ९. सरस्वतीपूजा १०. सरस्वतीस्तुति ११. शास्त्रमण्डलपूजा हिन्दी रचनाएँ १. आदीश्वरफाग २. जलगालनरास ३. पोसहरास ४. पट्कमरास ५. नागद्रारास आत्मसम्बोधन-आत्मसम्बोधन आध्यात्मिक कृति है। इसकी प्रति जयपुरके बाबा दुलोचन्दके शास्त्रभण्डारमें संग्रहीत है! सत्त्वज्ञानतरंगिणी-इस ग्रन्थमें १८ अध्याय हैं और समस्त पद्यसंख्या ५३६ है । कविने अन्त में अपना परिचय निम्न प्रकार निबद्ध किया हैजातः श्रीसकलादिकोतिमुनिपः श्रीमूलसंघेग्नगी स्तत्पट्टोदयपर्वते रविरभूद्भथ्यांबुजानंदकृत् । विख्यातो भुवनादिकोतिरथ यस्तत्पादकंजे रतः तत्वज्ञानतरंगिणीं स कृतवानेता हि चिद्भूषणः ॥२१॥ स्पष्ट है कि ज्ञानभूषणके प्रगुरु सकलकीति और गुरु भुवनकोति थे। इस १. तत्त्वज्ञानतरंगिणी, १८।२१ । ३५२ : तीर्थकर महावीर और उनकी आचार्य-परम्परा
SR No.090509
Book TitleTirthankar Mahavira aur Unki Acharya Parampara Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherShantisagar Chhani Granthamala
Publication Year
Total Pages466
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy