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________________ २९. घनपालरास ३०. भविष्यदत्तरास ३१. जीवन्धररास ३२. नेमीश्वररास ३३. करकण्डुरास ३४. सुभीमचक्रवर्तीरास १९. अलांबीरामानसुगपणास ३६. मिथ्यादुवड़विनती ३७. बारवतगीत ३८. जीवड़ागोत ३९ जिन्दगीत ४०. आदिनाथस्तवन ४१. आलोचनाजयमाल ४२. गुरुजयमाल ४३. शास्त्रपूजा ४४. सरस्वतीपूजा ४५. गुरुपूजा ४६. जम्बूद्वीपपूजा ४७. निर्दोष सप्तमीव्रतपूजा ४८. रविव्रतकथा ४९. चौरासीजातिजयमाल ५०. भट्टारक विद्याधर कथा ५१. अष्टांगसम्यक्त्वकथा ५२. व्रतकथा ५३. पञ्चपरमेष्ठी गुणवर्णन जम्बूस्वामीचरित इस चरितकाव्य में अन्तिम केवली जम्बूस्वामीका जीवनवृत्त अंकित है । सम्पूर्ण काव्य ११ सर्गों में विभक्त है । शृङ्गार और वोररसका सुन्दर वर्णन पाया जाता है। अलंकारोंकी दृष्टिसे उपमा, उत्प्रेक्षा, रूपक, अर्थान्तरन्यास, काव्यलिंग, निदर्शना, परिसंख्या आदि सभी प्रमुख अर्थालंकार प्राप्त है । भाषाशैलीको सशक्त बनाने के लिए सुभाषितोंका भी प्रयोग किया गया है। हरिवंशपुराण -- इस पुराण में रखें तीर्थंकर नेमिनाथ और श्रीकृष्णके वंश हरिवंशमें उत्पन्न हुए व्यक्तियोंका वर्णन किया गया है। कौरव और पाण्ड वोकी कथा भी निबद्ध है । समस्त कथा ४० सर्गों में विभक्त है । रस, अलंकार, गुण और रीति की दृष्टि से भो इस पुराणका पर्याप्त मूल्य है । सृष्टि-विद्या, श्रावकाचार, श्रमणाचार, गुण-द्रव्य, तत्त्वज्ञान, नय आदिका भी कथन आया है । रामचरित - रविषेणाचार्य के पद्मपुराणके आधारपर इस रामकथाकी रचना को गयी है। समस्त इतिवृत्त ८३ सर्गो में विभक्त है और १५०० पद्य प्रमाण हैं । माषा के सरल होने पर भी शैली अलंकृत है । आदिनाथपुराण - राजस्थानी मिश्रित हिन्दी में रचा गया यह पुराण ग्रन्थ कविको सबसे बड़ी रचना है । ऋषभदेव, बाहुबलि, भरत आदि महापुरुषोंके जीवनवृत्त अंकित हैं। आदि तीर्थंकर ऋषभदेवकी पूर्वभवावली, ३४० : सीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परम्परा
SR No.090509
Book TitleTirthankar Mahavira aur Unki Acharya Parampara Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherShantisagar Chhani Granthamala
Publication Year
Total Pages466
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size10 MB
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