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________________ है कि ब्रह्मजिनदासका समय वि० सं० १४५०-१५२५ होना चाहिए। इस समयावधि में कविकी रचनाओंका लेखन भी सम्भव है । इनकी रचनाओंसे अवगत होता है कि मनोहर, मल्लिदास, गुणदास और नेमिदास इनके शिष्य थे । ब्रह्मजिनदास ग्रन्थरचयिता होने के साथ कुशल उपाध्याय भी थे । यही कारण है कि इनके सानिध्य में अनेक शिष्योन ज्ञानार्जन किया था । रचनाएँ (संस्कृत) १. जम्बूस्वामीचरित २. रामचरित ३. हरिवंशपुराण ४. पुष्पाञ्जलिव्रतकथा ५. जम्बूद्वीपपूजा ६. सार्द्धद्वयद्वीपपूजा राजस्थानी १. आदिनाथ २. हरिवंशपुराण ३. राम-सीतारास ४. यशोधररास ५. हनुमंतरास ६. नागकुमार रास ७. परमहसरास ८. अजितनाथरास ९. होलीरास १०. धर्मपरीक्षारास ११. ज्येष्ठजिनवर रास १२. श्रेणिकरास १३. समकित मिथ्यात्वरास १४. सुदर्शन रास ७. सप्त षिपूजा ८. ज्येष्ठ जिनवर पूजा ९. सोलह्कारणपूजा १०. गुरुपूजा ११. अनन्तव्रतपूजा १२. जलयात्राविधि १५. अम्बिकारास १६. नागश्रीरास १७. श्रीपालरास १८. जम्बूस्वामी रास १९. भद्रबाहुरास २०. कर्मविपाक रास २१. सुकौशलस्वामीरास २२. रोहिणीरास २३. सोलहकारणरास २४. दशलक्षण रास २५. अनन्तव्रत राम २६. २७. चारुदत्तप्रबन्धरास २८. पुष्पाञ्जलिरास • धन्नकुमार राम १. शिष्य मनोहर रुपड़ा ब्रह्म मल्लिदास गुणदास । पढ़ो पढ़ावो बहु भाव सों जिन होई सांख्य विकास ॥ हरिवंशपुराणकी प्रशस्ति ब्रह्मजिनदास शिष्य निरमला नेमिदास सुविचार | पढ़ाई पढ़ावो विस्तरो परमहंस अवतार ॥ - परमहंसरास, पद्य ८ । प्रबुद्धाचार्य एवं परम्परापोषकाचार्य: ३३९
SR No.090509
Book TitleTirthankar Mahavira aur Unki Acharya Parampara Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherShantisagar Chhani Granthamala
Publication Year
Total Pages466
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size10 MB
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